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दोहा

दोहावली

1. चार चरण दू डांड़ के, होथे दोहा छंद ।
तेरा ग्यारा होय यति, रच ले तै मतिमंद ।।1।।

विसम चरण के अंत मा, रगण नगण तो होय ।
तुक बंदी सम चरण रख, अंत गुरू लघु होय ।।2।।

2. दुखवा के जर मोह हे, माया थांघा जान ।
दुनिया माया मोह के, फांदा कस तै मान।।

3. जीवन मा दिन रात कस, सुख दुख हा तो आय ।
दृढ़ आसा विस्वास हा, बिगड़े काम बनाय ।।

4. सज्जन मनखे होत हे, जइसे होथे रूख ।
फूलय फरय ग दूसर बर, चाहे जावय सूख ।।

5. महर महर चंदन करय, अपने बदन गलाय ।
मनखे तन ल कोन कहय, देव माथे चढ़ाय ।।

6. गुरतुर बोली सब सुनय, करकस बर चिल्लाय ।
दोस्त एक हर देत हे, दूसर बैरी बनाय ।।

7. कुछु कर लय मनखे बड़े, नई दे सकन दोस ।
छोटे ऊही ल करय त, उतार देबो रोस ।।

8. एकलव्य अभ्यास कस, साध लक्ष्य ला रोज ।
अर्जुन जइसे देख ले, मंजिल पाबे खोज ।।

9. जलन करे के रोग हा, घुना किरा तो आय।
काया ला लकड़ी असन, छेद छेद के खाय।।

10. जोगी बाना ओढ़ के, सोचय मिलही शांति ।
जेखर अंतस भीतरी, मचे हवय गा क्रांति ।।

11. हॅस गा लव संगी तुमन, जीवन के दिन चार ।
मनखे मनखे मीत बन, दिखा तै सदाचार।।

12. गुरतुर गुरतुर बोल तै, जस कोयल के बोल ।
सब के दिल मधुरस घुलय, अपन हृदय ला खोल ।।

13. आमा रस कस प्रेम हे, गोही कस हे बैर ।
गोही तै हर फेक दे, होही मनखे के खैर ।।

14. लालच अइसन हे बला, जेन परे पछताय ।
फसके मछरी गरी मा, अपन जाने गवाय ।।

15. अपन करम गति भोग बे, भोगे हे भगवान ।
बिंदा के ओ श्राप ले, बनगे सालिक राम ।।

16. करम बड़े के भाग हा, जोरव ऐखर ताग ।
नगदी पइसा कस करम, कोठी जोरे भाग ।।

17. लाश जरत तै देख के, का सोचे इंसान ।
ऐखर बारी हे आज गा, काली अपने जान ।।

18. हा हा कार मचे इहां, पानी बर बेहाल ।
बावत सावन मा करे, आसो परे दुकाल ।।

19. सावन महिना लोग सब, पूजय शिव भगवान ।
सीधा सादा सीधवा, भोला जेखर नाम ।।

20. हरियर हरियर खेत ला, देख मन गद गदाय ।
सावन भादो बरसात हा, नवा जिंनगी बनाय ।।

21. बदल गे जमाना कहय, गांव के सबो सियान ।
अटल नियम बदलाव के, धरे कहां हे ध्यान ।।

22. डिलवा डबरा होय हे, काली के हा आज ।
गांव आज के हो जही, काली कोनो राज ।।

23. सब झन हॅस गा लंव गा, जिनगी के दिन चार ।
खोजे मा मिलथे खुशी, दुख के हे भरमार ।।

24. गुरतुर गुरतुर गोठ बर, नई लगय कुछु दाम ।
मया परित मा बोर के, पी ले गा तै जाम ।।

25. काम काम दिन रात हे, पइसा हे भगवान ।
सत इमान ला बेच के, कहाय गा धनवान ।।
26. गली गली छेकाय अब, रद्दा रेंगव देख ।
चाकर दिखय गली कहंू, तहूं ह ओला छेक ।।

27. बनवा लव चैरा बने, बाजू पथरा गाड़ ।
अऊ पानी निकल दव, गली म जावय माड़ ।।

28. रद्दा छेके तै बने, दूसर बर चिल्लाय ।
अपन आघू म शेर तै, पाछू म मिमीआय ।।

29. गली अब कोलकी बने, बने न आवत जात ।
मतलब कोनो ला कहां, मतलबीया जमात ।।

30. नोनी बाबू कस लगय, जींस पेंट फटकाय ।
कनिहा ले बेनी कहां, चुन्दी ले कटवाय ।।

31. बाबू नोनी जस लगय, लंबा चुन्दी भाय ।
चिक्कन चांदर गाल हे, मेछा हे मुड़वाय ।।

32 नई होय छोटे बड़े, जग के कोनो काम ।
जेमा जेखर लगय मन, ऊही ले लौ दाम ।।

33. सक्कर चाही खीर बर, बासी बर गा नून ।
कदर हवय सबके अपन, माथा तै झन धून ।।

34. निदा निन्द ले धान के, खातू माटी डार ।
पढ़ा लिखा लइका ल तै, जीनगी ले सवार।।

35. लगथे चंदा बरन ना, जोही मुखड़ा तोर ।
ओट फूल गुलाब हवय, जिवरा तरसे मोर ।।

36. बीना तोरे मै कहां, नइये मोला भान ।
तही करेजा मोर रे, तही मोरे परान ।।

37. बसुरी कस तो मंय हर, रखंव अधर लगाय ।
धनी तोर ये मया हा, हृदय धड़कन जगाय ।।

38. नाष होय तन के सदा, अमर करम तो होय ।
जीते जीयत पाय फल, मरे के बाद ढोय ।।

39. हाथ जरे गा होम मा, काला देबे दोश ।
होय हवय गा भोरहा, झन कर ऐको रोश ।।

40. बने बने के आय सब, दुनिया के हितमीत ।
घिनहा बेरा मा परख, कोन जाय दिल जीत ।।

-रमेशकुमार सिंह चौहान

2 replies on “दोहावली”

आ. रमेश भैया , बहुत बढ़िया दोहा रचना करे हो आप , एक एक थान दोहा बर झारा झारा बधाई मोर डहन ले देवत हों |
अभी १ से २० तक के दोहा पढ़े हवों , नीचे लिखे लाइन के मात्रा मन ल एक बार अउ गिन ले तेव , थो किन गड़बड़ लगथे |
दूसर बैरी बनाय ।।
होही मनखे के खैर ।।
अपन जाने गवाय ।।
सावन भादो बरसात हा,

आदरणीय भंडारी जी आपके मया बर धन्यवाद, अइसने ध्यान दे मा गलती पकड़ाथे तभे सुधरतथे आपके बात वाजीब हे । ध्यान देवाव तेखर बर धन्यवाद

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