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गुड़ी के गोठ

धरती म समावय निस्तारी के पानी – गुड़ी के गोठ

बरखा के पानी ल भुइयां के गरभ म उतारे खातिर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के गोठ आज-काल बहुत करे जावत हे। ये अच्छा बात आय के लोगन अब दिन के दिन कमतियावत पानी खातिर सोचे-गुने लागे हें, वोकर व्यवस्था खातिर नवा-नवा उदिम करत हें। फेर मोला लागथे के सिरिफ बरखा भर के पानी ल नहीं भलुक जतका भी पानी बिरथा बोहा के नरवा-ढोडग़ा ले होवत समुंदर म चले जाथे, वो जम्मो ल छेंक-छाक के धरती के गरभ म उतारना चाही।
गांव-गंवई के बात तो अइसे हे के उहां नहाये-धोये अउ निस्तारी के पानी ह तीर-तखार के डबरा-खंचका म ही समा जाथे, फेर शहर मन म अइसन नइ हो पावत हे। शहर मनके घर-अंगना, सड़क, गली-कोलकी अउ निस्तारी के पानी बोहाए खातिर बने नाली तक मन सिरमिट के पक्का बने रहिथे, तेकर सेती बरसात के संगे-संग बारों महीना जेन पानी बोहावत रहिथे उहू मनहा धरती के गरभ म नइ जा के तीर-तखार के ढोडग़ा-नरवा ले होवत समुंदर कोती चल देथे या फेर आसपास के फेक्ट्री वाले मनके छेके बांधा म हमा के उंकर पुरती हो जाथे। एकरे सेती ए देखे जावत हे के शहर के भू-जल स्तर ह गांव-गंवई के भू-जल स्तर के अपेक्षा जादा गिरत जावत हे।
वाटर हार्वेस्टिंग के अभी जेन बात चलत हे वो ह शहर म ही जादा चलत हे। गांव-गंवई म अभी एकर खातिर जादा जोर नइ दिए जावत हे। फेर मोला लागथे के गंवई म घलो ए मुड़ा म चेत करे के जरूरत हे, काबर ते भू-जल स्तर के गिरावट भले कम हे फेर देखे उहों जावत हे। एकर सेती जरूरी हे के समस्या के बिकराल रूप धरे के पहिली वोकर व्यवस्था पहिली च ले कर लिए जाय।
हां ए सही हे के शहर म ए ह अभी ले बिकराल होगे हवय, एकरे सेती शहर म बरखा के पानी ल धरती के गरभ म लेगे के अनिवार्य नियम बनाये के गोठ होवत हे। मोर कहना ए हवय के नाहवन-धोवन के रूप म जेन गंदा पानी बारों महीना नाली म बोहावत रहिथे उहू ल धरती के गरभ म लेगे के व्यवस्था करे जाय। मैं ये देखे हावंव के जेन जगा के नाली कच्चा हवय, जिहां नाली के पानी ह धरती म समावत हावय वो तीर के कुंआ, झिरिया या बोरिंग म सरलग बारों महीना पानी ओगरत रहिथे, अउ जेन जगा अइसन नइ होवय वो जगा के कुंआ, झिरिया या बोरिंग ह गरमी लगते सुक्खा पर जाथे।
ए सबला देख के लागथे के बरसात के पानी के संगे-संग नाली म बारों महीना बोहाने वाला पानी ल घलो धरती के गरभ म उतारे के व्यवस्था करे जाय। फेर अइसन बुता ल शहर ले बाहिर नहीं भलुक शहर के भीतर, गली-मोहल्ला के भीतर करे जाय। अइसे करे जाय के एक पारा के पानी दूसर पारा तक म झन जा पावय। अइसन कहूं होही त न सिरिफ शहर के भू-जल स्तर म सुधार आही, भलुक अतलंग परत गरमी ले घलोक थोर-बहुत हाय लागही, जी जुड़ाही।
सुशील भोले
41191, डॉ. बघेल गली
संजय नगर, टिकरापारा, रायपुर

2 replies on “धरती म समावय निस्तारी के पानी – गुड़ी के गोठ”

Water Harvesting ke jarurat gaon me bhi he .. Jataka motor pump vaala gaon he ( khaskar dhamtari auv durg jila ke ) tiha sab bor man sukhavat jaat he ..
Bor la recharging kare bar dhamtari ke ek jhan Soni ji ha achachha technique banay haabe .. lekin yekar upyog kaabar dhatari ke kisaan man nai karat he te la jaane bar padhahi ..
me ha khud apan ghar ke boring la recharge kare bar ghar me baat karenv .. lekin yekar baare me jada jaankaree nai hoy ke vajah se hamar ghar ke man jada dhyan nai dethe ..

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