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गोठ बात

नउकरी लीलत हमर तीजतिहार

असाढ़ के लगते ले हमर तीज तिहार सुरु हो जाथे।अइसे तो छत्तीसगढ़ मा बारो महिना तिहार मनातन। चइत के पहिली दिन ले सुरु होय तिहार मा नानम परकार के स्थानीय, परंपरागत अउ रास्टीय तिहार ल बिन भेदभाव के मनाथन। छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार अक्ती ल मानथे। अइसने रामनम्मी, जवांरा, हरेली, रथदुतिया, सावन सम्मारी , कमरछठ, आठे,तीजा, पोरा, गनेस चउत, पंचमी, पीतर पाख, दुर्गापाख, दसरहा, देवारी, जेठौनी , नवाखाई, अग्हन बृहस्पति , तीन सकरात, छेरछेरा, होरी, फगवा ये सबो ल आकब नइ कर सकन। फेर हर पुन्नी मा तिहार , एकादशी मा तिहार । छत्तीसगढ़ मा नानम जाति के मनखे रहिथे।उंखर अपन जाति समाज के तिहार।आज के हमर नवा पीढ़ी के लइका मन ये जम्मो तिहार के नांव ल जानथे फेर काबर अउ कइसे मनाथे ओला नइ जानय। छत्तीसगढ़ पहिली तिहार अक्ती काबर मनाथे अउ ओ दिन काय करे जाथे हमर लईकामन ल पूछे मा चुप हो जाथे। सहर के लइका तो जानबेच नइ करे गांव के लइका घलो नइ जानय अक्ती काबर मनाय जाथे। काबर कि जौन दिन ये तिहार रथे लइका इस्कूल मा रथे। इस्कूल मा अक्ती नइ मनाय जाय। नवाखाई मा देवताधामी के पूजा कइसे करे जाथे, अउ जब ओकर पाहरो आही तब कइसे करही कोन सिखाही ऐला सोंचबे नइ करय। छेरछेरा अब पिछड़े गांव के तिहार अउ दरुवाहा मंदवाहा के तिहार होगे हावय। अइसने छत्तीसगढ़ के मड़ई मेला हे। फेर आज के छोकरा छोकरी अउ बहू मन इहां नइ जावय। धीरे धीरे हमर संस्कृतिअऊ परम्परा ल खतम करे के साजिस रचे जाथे। ऐमा सबले बड़े सुरसा हे नउकरी । कहे जाथे नउकर ल अपन मन से काहीं करे के अधिकार नइ हे ,मालिक ओला जतका कही ओतका ही करना हे। आज सबो मनखे जेमा माईलोगिन घलो समटाय हे, नउकरी करत हे। ओकर मेर अपन खुद के धियान करे के बखत नइ हे।ओहर तिहार बार ,मड़ई मेला,परंपरा, संस्कृति के काय धियान करही। ओला संसो रथे कि आज नउकरी मा नइ जाहूं त मोर पइसा काट दिही।




हमर सब संस्कृति, परंपरा, तीज तिहार ल नउकरी नांव के सुरसा लीलत हे।30-35 बच्छर होय हे छत्तीसगढ़ मा नारी मन सिच्छित होइस अउ नउकरी मा उंकर भागीदारी बढ़ीस हावय।आकब करथंव उही दिन ले हमर तीज तिहार मनाय के कमती होवत जावत हे। आज जेन डाहर सिच्छा के परचार कमती हे , जंगल गांव, उंहा आज घलो सबो तीज तिहार के मानता हे। सहर मा तिहार ह बजरहा हो गे हावय। घर मा रोटी पीठा राधे के परंपरा धीरे धीर नंदावत जाथे ओ किटी पारटी मा बनथे नही ते सब होटल ले आथे। सहर मा एक रिवाज मानने वाला एके जगा नइ मिलय। समाजिक एका के राजनीतिकरण हो गे हावय।ओमन राजनीतिक फायदा के तिहार मनाथे जौन ल मिलन समारोह नांव देथे। पर प्रांत ले नउकरी करे आय अधिकारी, ठेकादार अउ उद्योगपति मन सबले जादा हमर तिहारबार ल मेटाय मा जोर लगाईस।बड़े पद मा बइठे अधिकारी,दूसर धरम के होगे तब तो अउ बड़बाय हो जाथे।छुट्टी नइ देना,तनखा काट देना, नउकरी छोड़ा देना नानम उदिम। तिहार के दिन लइका इस्कूल चल दिस, बाप महतारी बुता मा चल दिन त तिहार ल कोन मानही? अंधविस्वास अच्छा बात नोहय फेर बिकास अउ आधुनिकता के नांव मा परंपरा, संस्कृति अऊ तीजतिहार के पूजवन चढ़ाना घलो बढ़िया बात नोहय। नउकरी के नांव मा तीज तिहार के कांवरा कब तक बनाय जाही।सरकार ह लइका मन ल छत्तीसगढ़ के संस्कृति परंपरा ल आगू पीढ़ी मा लेगे बर कब अउ कइसे उदिम करही। ये यक्ष प्रश्न हे।

हीरालाल गुरुजी” समय”
छुरा जिला- गरियाबंद