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नाटक : रसपिरिया

जान -चिन्हार
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- मुरदुंगिहा
मोहना चरवाहाः- दस-बारा बच्छर के लइका
रमपतियाः- मोहना चरवाहा के दाई
जोधन गुरूः- रमपतिया के ददा
चरवाहा:-1

दिरिस्य:-1

ठौर:- गौचर
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मोहना ला देख के ऑंखि मा ऑंसू आ जाथे
सुग्घर अति सुग्घर
मोहना:- मुचमुचात तोर अँगठी रसपिरिया बजात टेड़गी होगिस हावय ना
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- ऐं! रसपिरिया ? हॉं, नह, तैंहर कइसे— तैंहर काहॉं सुने बे—। परमानपुर के गांव के लइकामन ओला एक घ एकझन बाम्हन के लइका ला बेटा किहिस ता पीट दे रिहिन। ओकर कान मा गूंजत हावय।
लइकामन:- बहरदार होके बाम्हन के लइका ला बेटा कहिबे। मारा साला बुढ़वा ला घेरघार के। मुरदुंग ला फोर दा।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- इ दारी माफ कर देवा सरकार। आप तुमनला मैंहर ददा किंहा। एकझिन लइका ला धर के। फेर ठीक कहत हों ना ददा गा। सबो लइका हॉंसथे।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- रसपिरिया के बात ला तोला कोन बताइस बेटा?
मोहना:- मनेमन सोचथे, पँचकौड़ी आधा बइहा हावय, कोन ऐला पार पाही। आपन बैला कोति देखे बर लागिस।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा सोचत हावय कमलपुर मा नन्दूबाबू के इहॉं चारठन मीठ गोठबात सुने बर मिल जाथे, एक दू घ भात घलो पा जाथों, कभू रस चरचा घलो हो जाए, दू साल पीछू इ इलाका मा आय हावों। दुनिया बड़ जल्दी जल्दी बदलत हावय।
सोभा मिसिर के छोटे लइका:- तैंहर जीयत हावस कि थेथवई करत हावस मुरदंुगिहा ।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- हॉं ये जीवई हर कोन्हों जीवई हावय? निरलज हावय अउ थेथवई के घलो एकठन सीमा होथे, पंदरा साल ले वोहर ढेंटू मा मुरदुंग बोहके , गांव गांव घूमत हावय, भीख मॉंगत हावय। जवनी हाथ के टेड़गा अँगठी मुरदुंग ला पाय नीही, मुरदुंग का बजाही, आप तो धा तिंग धा तिंग बड़ मुसिकल ले बजात हावय। गांजा भांग पी खाके ढेंटू ला बिगाड़ दारिस हावय। मुरदुंग बजाय खानी गाबेच करही, फुटहा चोंगा साही लागथे सों-य, सोंय।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा के पहिली नामी रिहिस, मंडली बनाय रिहिस, ओला सबो कोन्हों जानत रिहिन।सबो जानत हावय, ओहर आधा बइहा हावय, गांव केमन कहत रइथें पँचकौड़ी मुरदुंगिहा के घलो एकठन जमाना रिहिस।
मोहना चरवाहाः- एकठन रसपिरिया गावा न मुरदुंगिहा!
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- रसपिरिया सुनबे? बने सुनाहा, पहिली बता , तोला कोन–
चरवाहा:- हे-ए-ए हे-ए मोहना बइला भागत हावय। रे मोहना तोर पीठ के चाम उधेड़ही करमू।
मोहना:- अरे ददा! मोहना भागत हावय। कालेच करमूहर ओला पीटे रिहिस।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मैंहर इ रूखवा के छांय तरी मा बइठत हावों, तैंहर बइला ला फिरो के आ। रसपिरिया नी सुनस। मोहना जात हावय ओहर लहुंट के नी देखिस।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- सोचत हावय रसपिरिया! बिदापति नाच वालामन या रसपिरि गात रिहिन। सहरसा के जोगेन्दर झा हर एक घ बिदापति के बारा पद के एकठन किताब छपवाय रिहिस। मेला मा खूबेच बेचाय रिहिस। बिदापति नाचवालामन गा गा के जनपिरिया बना दे रिहिन। जेठ के चढ़त मंझनियाकन डोली मा काम करोइयामन आप गीद नी गांय। कुछू दिन पीछू कोइली हर कुकना भुला जाही का? इसने मंझनियाकन कलेचुप काम कइसे कर लेथें। पांच साल पहिली लोगमन के दिल मा हुलास बाकी रिहिस। पहली बरसा मा भींजे भुंइया के हरिहर नार बिंयार ले एक खास किसिम के गंध निकलय। तीपत मंझनियाकन मोम साही टघल जात रिहिन- रस के डार। वो गीद लागत रिहिन चांचर, बिरहा , लगनी। डोली मा काम करत गीद घलो समे असमे के खियाल करके गाए जाथे। रिमझिम बारिस मा बारहमासा। चिलचिलात धूप मा चांचर, बिरहा , लगनी। आप मंझनिया नीरस कटथे। माना आप काकरो करा एकठन सबद घलो नी रह गीस हावय।
चील के आवाज आथेः- टिं—- ई — टिं-हिं-क।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- सैतान!
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- झोला टमर के देखिस। आमा हावय! मुर्रा हावय! ओला भूखन लागिस , मोहना के सूख्खा मुंहूं के सूरता आगिस अउ भूख मेटा गिस। मोहना जइसने सुग्घर सुसील लइका के खेजे मा ओकर जिनगी के अबड़ दिन बीत गिस।बिदापत नाच मा नचोइया नचकारिन के खेजे हर खेल नी होइस। सबरन के घर मा नीही, छोटे जात के लोगमन के इहॉं मोहना जइने नोनी मुंहू के टूरा हमेसा पैदा नी होवय, येमन अवतार लेथे समे समे मा जदा जदा हि—-। पहिली नचकारिन निकलय ता सबो कहे- ठीक बमनिन जइसने लागत हावय ना? पँचकौड़ी मुरदुंगिहा बजोइया अउ गवइया दोनों हावय।
मोहना चरवाहा:- तोर अँगठी रसपिरिया बजात टेड़गी होगिस हावय ना।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- हाहो। तीपत पानी, तोर तिल्ली बाढ़गिस हावय, तीपत पानी पीबे।
मोहना चरवाहा:- ये तैंहर एला कइसे जान डारे, फारबिसगंज के डागडर बाबू घलो कहत रिहिन, तिलली बाढ़गिस हावय। दवा—।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मनेमन सोचथे मोहना जइसने लइकामन के प्ेट के तिल्ली चिता के संग गलथे। का होही पूछके? काबर दवाई नी करवास?
मोहना चरवाहा:- दाई घलोक कहत रिहिस, हरदी के बुकनी के संग रोजेच तीपत पानी। तिल्ली गल जाही।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मुचमुचात बड़ सियानीन हावय तोर दाई। केरा के सूख्खा पान मा मुर्रा अउ आमा राखिस आबे ! एक मुठा खा लेबे।
मोहना चरवाहा:- नीही ! मोला भूखन नी लागत हावय।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- आ खा ले बेटा! रसपिरिया नी सुनस?
मोहना चरवाहा:- नीही ! मोला भूखन नी लागत हावय।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मोहना!
मोहना चरवाहा:- कोन्हो देख लिही ता?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- ता का होही?
मोहना चरवाहा:- दाई करा कह दिही। तैंहर भीख मांगथस ना?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- कोन भीख मांगथे? ए- स्साला!मारिहा ओ मुटका।
मोहना चरवाहा:- ए ! गाली काबर देत हावस?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मोहना!कोन किहिस तोला कि मैंहर भीख मांगथों? मुरदुंग बजाके, पदावली गाके, मनखेमनला रिझाके पेट पालत हावंव। तैंहर ठीको कहत हावस, भीख के अन्न हावय येहर, भीख के फल हावय येहर। मैंहर नी देवंव। तैंहर बइठ, रसपिरिया सुना दों।
चील के आवाज आथेः- टिं—- ई — टिं-हिं-क।
मोहना डरागिस, एक डग, दू डग— दे कूदिस। दूरिहा मा जाके नरियाइस ।
मोहना चरवाहा:- टोनही हर बान मार के तोर अंगइी ला टेड़गी करे हावय। लबारी काबर मारत हावस कि रसपिरिया बजात बजात—।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- ऐ! कोन हावय इ लइका? कोन हावय इ मोहना? रमपतिया घलो कहत रिहिस। टोनही हर बान मार दिस हावय।
मोहना
मोहना चरवाहा:- करेला
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मोहना घलो जानत हावय मैंहर करेला कहे मा रिसा जाथों, कोन हावय ये मोहना?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा रोत रोत सोचत हावय
सोनमा:- गुरूगिरी करत हावय चोट्टा।
रमपतियाः- हे दिनकर! साच्छी रहना! मुरदुंगिहा हर फुसलाके मोर सरबनास करे हावय। मोर मन मा कभू चोर नी रहिस। हे सूरूज भगवान! इ दसदुआरी कुकुर के अंग अंग फूट के—।



दिरिस्य:- 2
ठौर:- जोधन गुरू के घर

जोधन गुरू:- आज आठ साल मोर करा तैंहर सीख डारे , तैंहर गायबर आय रहय मैंहर तोला बजाय बर सिखाय। तैंहर आय रहय ता मोर बेटी हर बारा बच्छर के रिहिस, आज बीस बच्छर के होगिस हावय, पँचकौड़ी तैंहर एकर संग बिबाह कर ले।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- रमपतिया मेर परेम के नाटक करे रिहिस, हां किहिस अउ रतिहाकन भाग पराइस। आपन जात ला घलो लुकाय रिहिस।

दिरिस्य:- 3
ठौर:- गुलाबबाग के मेला

पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- रमपतिया काबर लबारी मारत हावस, मोर मेर मिले आय हावों, काबर लबारी धोखा ला मोर मेर जोरे आय हावस। कमलपुर के नंदूबाबू के तीर काबर नी जास? मोला उल्लू बनाय आय हावस, नंदूबाबू के घोड़ा बारा बजे रात के——।
रमपतिया:- पांचू! रमपतियाः- हे दिनकर! साच्छी रहना! मुरदुंगिहा हर फुसलाके मोर सरबनास करे हावय। मोर मन मा कभू चोर नी रहिस। हे सूरूज भगवान! इ दसदुआरी कुकुर के अंग अंग फूट के—।

दिरिस्य:- 4
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा सोचत हावय
रसपिरिया बजात पँचकौड़ी मुरदुंगिहा के अँगठी टेड़गी होगिस।

रमपतिया:- हे दिनकर! कोन अतका बड़खा बैरी करीस, ओकर बेरा होवय, मोर बात लहुंटा दा भगवान! रीस मा कहे बात! नीही !नीही! पांचू मैंहर कुछू नी करे हावों। जरूर कोन्हों टोनही हर बान मारिस होही।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- सोचत हावय मोर मुरदुंग ला करेजा मा सटाके कतका रतिहा काटे हावय। मुरदुंग ला ओहर आपन छाती मा लगा लीस।
चील के आवाज आथेः- टिं—- ई — टिं-हिं-क।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- एस्साला!
मुरदुंग बजाय बर लागिस, फेर बने नी बजाय सकिस। बीच मा ताल टूट गिस।
परदा भीतर ले मोहना चरवाहा गात हावय
न-व-बिरिन्दा-बन, न-व-न-व तरु-गन, न-व-नव बिकसित फूल–।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा बजाय बर लागिस
काम करोइया 1ः- बइहा हावय, जिहॉं पाथे , उहॉं बइठ के बजाथे।
काम करोइया 2ः- बड़ दिन के पीछू लहुंटे हावय।
काम करोइया 3ः- हामन समझत रहेन कहूं मर गिस होही।
मोहना चरवाहा गात हावय, पँचकौड़ी मुरदुंगिहा नाच नाच के बजात हावय।
मोहना चरवाहाः- इस्स! टेड़गी अंगठी मा घलो अतका तेजी।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- कमाल! कमाल! काकर मेर सीखे! काहॉं सीखे तैंहर पदावली? कोन हावय तोर गुरू।
मोहना चरवाहाः- सीखिहां काहॉं? दाई रोज गाथे। परातकी मोला बड़ सूरता हावय, फेर आभी ओकर समे नीए।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- हॉं बेटा! बेताले के संग कभू झन गाबे बजाबे। ले आप आमा खा ले।
मोहना खाय बर लागथे।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- एकठन अउ ले ले।
मोहना तीन ठन आमा खाइस अउ दू मुठा मुर्रा खाईस।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- अच्छा आप एकठन बात बताबे मोहना! तोर दाई ददा का करत हावय,?
मोहना चरवाहाः- ददा नी हावय, एकेझिन दाई हावय। बाबूमन के घर कुटाई पिसाई करथे।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- अउ तैंहर नौकरी करथस। काकर इहॉं?
मोहना चरवाहाः- कमलपुर के नन्दूबाबू के इहॉं।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- नंदूबाबू के इहॉं।
मोहना चरवाहाः- ओकर घर सहरसा मा हावय, तीसर साल जमो गांव कोसी मइया के पेट मा चल दिन। ओकर दाई ओला लेके आपन मोमाघर आइस हावय कमलपुर।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- कमलपुर मा तोर दाई के मोमा रहत हावंय। टोनही वाली बात ला तोर दाई कहे रिहिस।
मोहना चरवाहाः- हाहो। अउ एक घ सामदेव झा के इहॉं तैंहर गिरधर पट्टी मंडलीवालामन के मुरदुंग लूट ले रहेव।बेताला बजात रिहिस। ठीक हावय ना।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- तोर ददा के का नांव हावय।
मोहना चरवाहाः- अजोधादास।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- अजोधादास? मनेमन
बूढ़वा अजोधादास, जेकर मुंहूं मा नीए बोल, नीए ऑंखि मा लोर। मंडली मा गठरी ढोत रिहिस, बिन पैसा के नोकर, बेचारा अजोधादास। बड़ सियानीन हावय तोर दाई।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा आपन झोली ले नोट निकालथे।
मोहना चरवाहाः- लोट! का हावय लोट?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- हाहो, नोट हावय।
मोहना चरवाहाः- कतका रूपया वाला हावय? पांच रूपयावाला! ऐं! दस रूपयावाला हावय, थोरकन छुअन देबे।काहॉं ले लाय?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- सबो दस रूपया के हावंय, सबो मिलाके चालीस रूपया हावय। मोहना बेटा, फारबिसगंज के डागडरबाबू ला दे के बढ़िया दवा ले लेबे। अमट मीठ ला झन खाबे, तीपत पानी जरूर पीबे।
मोहना चरवाहाः- रूपया मोला काबर देत हावस?
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- जल्दी राख ले, कोन्हों देख लिही। बीड़ी तंबाखू घलो पीथस? खबरदार।
मोहना रूपया ले लीस।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- बने गंठिया ले । दाई ला कुछू झन बताबे। अउ हॉं, येहर भीख के पइसा नी होईस, बेटा येहर मोर कमाई के पइसा हावय। आपन कमाई के।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहा जाय बर होथे।
मोहना चरवाहाः- मोर दाई डोली मा बंद लूअत हावय, चला ना।
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- नीही मोहना! तोर जइसने गुनवान बेटा पाके तोर दाई महारानी हावय, मैंहर महाभिखमंगा दसदुआरी हावों।जाचक, फकीर। दवा ले जे पइसा बांचही, ओकर गोरस पीबे।
मनेमन सोचथे मोहन के बड़खा बड़खा ऑंखि नंदूबाबू के ऑंखि जिसने हावय।
परदा भीतर ले
रमपतिया:- रे मोहना रे ! बइला हर काहॉं हावय रे!
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- तोर दाई बलात हावय सायद।
मोहना चरवाहाः- हाहो! तैंहर कइसे जान डारय।
परदा भीतर ले
रमपतिया:- रे मोहना रे !
पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- जा, तोर दाई बलात हावय, जा, आप ले मैंहर पदावली नीही, रसपिरिया नीही, निरगुन गांहॉं। देख मोर अँगठी हर सिधियात हावय। सुध रसपिरिया कोन गा सकत हावय आजकाल।
अरे, चलू मन, चलू मन,ससुरार जइबे हो रामा।कि आहो रामा।
नैहिरा मा अगिया लगायब रे की—।
मोहना चरवाहाः- चल दिस।
रमपतिया:- इहॉं एकेझिन ठाढ़ होके का करत हावस? कोन बजात रिहिस मुरदुंग रे?
बंद के बोझा मुड़ मा बोहे हावय।
मोहना चरवाहाः- पँचकौड़ी मुरदुंगिहा
रमपतिया:- ऐं! ओहर आय हावय, आय हावय ओहर।
बंद के बोझा ला भिंया मा पटक दिस।
मोहना चरवाहाः- मैंहर ओकर ताल मा रसपिरिया गांय हावों, कहत रिहिस अतका सुध रसपिरिया कोन गा सकत हावय आजकाल।ओकर अँगठी आप सोझिया जाही।
दाई मोहना ला खुसी के मारे पोटार दारीस।
मोहना चरवाहाः- तैंहर तो हमेसा ओकर टोकरी भर सिकायत करत रहस, बेईमान हावय, गुरुदरोही हावय, लबरा हावय।
रमपतिया:- हावय तो ! उसने मइनसे के संगत ठीक नीए। खबरदार फेर कभू ओकर संग गे ता,दसदुआरी जाचकमन ले हेलमेल करके आपनेच नुकसान होत हावय। चल बोहा बोझा।
मोहना चरवाहाः- बोझा उठात
जे घलो होवय, गुनी मनखे के संग रसपिरिया—-।
रमपतिया:- चैप! रसपिरिया के नांव झन ले।
मोहना चरवाहाः- मनेमन अजीब हावय दाई। रिसाही ता बाघिन साही लागही, मया करही ता गाय साही नरियाही, तुरत मया, तुरत नाराज।
परदा भीतर ले मुरदुंग बाजथे
धा तिंग धा तिंग
रमपतिया गिरत रइथे
मोहना चरवाहाः- का होइस दाई?
रमपतिया:- कुछू नीही।
परदा भीतर ले मुरदुंग बाजथे
धा तिंग धा तिंग, धा तिंग धा तिंग
रमपतिया:- कहत रिहिस तोर जइसने गुनवान बेटा
मनेमन मुरदुंगिहा अउ कुछू कहत रिहिस बेटा।
लबरा, बेईमान,
ऑंसू पोंछत कइथे
इसने मनखे के संगत कभू झन करबे।
मोहना कलेचुप ठाढ़े हावय।
परदा गिरथे।

सीताराम पटेल
07697110731