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गोठ बात

नारी अऊ पुरूस दो परमुख स्तंभ

मनखे रूप म बंदनीय हावय इकर कोमल भाव मातृत्व म सागर के हिलोर हे, त कर्तव्य म हिमालय परबत के समान हावय

Kiran Sharmaएक दुसर के पुरक हावय, नारी के अंर्तमन के थाह नई हावय ईसवर के देहे बरदान हे नारी, ऐमा सिरजन के अदभुत छमता होथे, पीरा, व्यथा संघर्स विलछनता, सहनसीलता, परिवार बर समरपन सब्बो ल एकजुट करके चलना, हर बिपरीत परीस्थिती म चट्टान के जइसे अडिग रहना, नारी के जनमजात गुन हावय नारी यदि ईसवरीय रूप म पुजित हे त मनखे रूप म बंदनीय हावय इकर कोमल भाव मातृत्व म सागर के हिलोर हे, त कर्तव्य म हिमालय परबत के समान हावय, नारी हे त ई लोक हर हाबय, नहीं तो पथरा कस रह जातीस, नारी के सम्मान करव उनला दुरगा के अवतार बने के मौका झिन देवा, बेटी रूपी नारी ल ई धरती म मुचकाये देवा, धरती म सृजनकर्ता के अवतार ल अतका निर्दयता से कोख म झिन मारा, मिलन ही से तो सृजन संभव हाबय अपन कुत्सित विचार अव कर्म से ई पवित्र संबंध ला खेल झिन बनावा, तेजाब जईसे जवलनसील पदार्थ ले ओकर तन अव मन ल अपन बुरा करम ले झिन रौंदा।
विपगदणादिसग्या देमो चिता यत्समातिका
अपि स्मरथ नो युस्मत्पक्ष्ज्ञचछाया समेघितान।
जईसे चिड़िया अपन अंडा ल संवारथे -पखराथे वैसनहे मां अपन संतान के पालन पोसण करिथे, इतिहास ल देखा झांसी के रानी लक्ष्मी बाई, दुरगावती पन्ना घाय, मीराबाई,जोधाबाई, आदि आधुनिक काल म साहित्य म महादेवी वर्मा सिवानी, सुभद्रा चौहान, मिनीमाता आदि म विलक्षण प्रतिभा के धनी रहिन त सत्ता म इदिरा गांधी, प्रतिभा पाटिल, ममता बेनर्जी, सरोजनी नायडु, सोनिया गांधी, आदि रहिन, खेल म सानिया मिर्जा, मैरिकाम, सानिया नेहवाल, लोकप्रिय खिलाड़ी, माउंट एवरेस्ट म फतह कराईया बछेन्द्री पाल, वर्तमान म बालीबाल के खिलाड़ी रहे अरूनिमा सिन्हा जेला टे्न ले चोरमन फेंक दीन अव ओहर पैर से बिकलांग होगे, लेकिन जज्बा के आगू बिकलागंता छोटे पड़गे अव अरूनिमा हर माउंट ऐवरेस्ट के चोटी म हमर तिरंगा लहरा के आगीस, गायकी म सुरैया, सुश्री लता मंगेसकर, आसा, कविता कृस्नमूरती, अलका याज्ञिक,श्रेया घोसाल, अदाकारामं नरगीस नूतन, मधुबाला, पद्मिनी, आदि प्रसासनिक अधिकारी म किरण बेदी, गोवा पुलिस के स्पेसल इन्वेस्टीगेसन टीम म डीएसपी सुनीता सावंत, आज कतको महिला अपन सेवा देबत हाबय, आज पत्रकारिता म भी महिलातन के अकल्पनीय जोगदान हाबय वरिस्ठ पत्रकार, समीछक मृनाल पांडेय के लेखनी ले बड़े-बड़े थर्रा जाथे, 26 दिसंबर 2012 के निर्भया कांड के वृतचित्र डाक्यूमेंट्ी बनाने वाली विभा बक्छी, अंतरिक्छ म कल्पना चावला, गणितग्य संकुतला सर्मा, बिजनेस म भी उंचा पद मं हावय, नृत्य म सितारा देवी, वहीदा, रेखा, बैजतीं हेमा, सुरैया, छत्तीसगढ़ के बासंती वैस्नव, पंडवानी म पदमश्री तीजन बाई रितु वर्मा पदमश्री समसाद बेगम लोक साहित्य म डा. सत्यभामा आडिल डा. निरूपमा सरमा, ससी दुबे, सुधावर्मा, डा. हंसासुक्ला, संकुतला सर्मा, सरला सर्मा, कई ठन ऐसे नाम हावय जेन अगास के घुरव तारा सही अंजोर बगरावत हावय। नारी कोनो उपभोग के वस्तु नो हे, बल्कि ऐसे काजर हावय जेला आज के हमन सत के सागर म गोता लगा सकथन, नारी तो परिवार के एक धुरी हावय जेकर बिना जिनगी के रददा तय कभू नई हो सकय, परबार के मायाजाल म रहिके अपन उत्थान के रद्दा तय करिथे, बाईबिल म मरियम माता हाबय त गुरूनानक के पत्नी हर अपन बेटामन के बलि ल धरम के नांव म सहन करीन, त्रेतायुग म माता सीता अपन कुल के लाज राखे बर बन के दुख ल सहिन पति के तीर म रहिके जोगनी कस जिनगी बितायीन कौसल्या दाई ल चौथेपन म राम, लक्ष्मण, भरत, सत्रुघन ह मिलिस, बालपन के सुख ल थोरकन दिन देखीन तह राम संग उनकर भाई मन ला भी पढ़े बर आश्रम भेज दिन।
माता के अंचरा के फूल सुखागे तंह युवावस्था मं बालमीकी के आश्रम भेज दीन, ओकरो ले ओ पार कठोर बनवास चैादह बरस बर भेज दीन ल्ेकिन, वो बनबास मं राक्षस मन के संहार करिन एती मां ममता के मारे तड़पत रहिस ,देवकी माॅ अपन सात लईका ल आॅखी के आगू पटका के मरत देखिन,कतका दुख अव पीरा सहिन ,आठवंा के लईकन रूप देखे बर उनकर अंाखी तरस गईस लेकिन जन कलियान के खातिर वोहू पीरा ल सहीगे ,अहिल्या जिनक कोनो गलती नई रहिस पथरा के बुत बने जाड़ा, घाम ,पानी ,बादर सबो जिनिस ल सहीस,मंदोदरी जो रावन के सुवारी रहिस अदभुत गुण वाली सहनसील,अपन पति के घृणित कार्य ल आंखी देख के भी अनदेखना करिन,नल दमयंती जो सत बर पहाड़ सरीख्ेा दुख ल सहीन,राजा हरिषचंद्र अव ओकर पत्नी,सावित्री जेन हर अपन सत मं सत्यवान ल यम के पाष ले छोडा़ दारीन, मीराबाई गली -गली किसन परेम मं बुड़े भजन गावत फिरत रहीन ,परिवार,गांव के नफरत सहत,कुंती वैघव्य जिनगी जियत अपन पांचो लईकन मन ल दुर्योधनके कुटिल चाल ले बचावत रहिन ,अंत मं पोता अभिमन्यु अव पांच पोता के मौउत के पीरा दुख ल सहीन उर्मिला जेन लझमन के सुवारी रहिस चैदह बरिस ले अपन गुसईंया के बिरहा ल दीया जला के,तप करिके सहिस तभे तो कवि,जयषंकर प्रसाद साकेत मं लिखे हावय।

” अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है, दुध आंखो में पानी”

कथे हर सफलता के पाछू काकरो न काकरो हाथ रहिथे,नारी अपन पति ल पुरा सहयोग देथे,तुलसीदास के रामचरितमानस कभू नई लिखातीस यदि उनकर पत्नी रत्नाावली उनला राम भक्ति बर उकसातीन नईं।एतना बड़े -बड़े बिज्ञानीक होईन सबके पाछू नारी के हाथ रहिस। नारी जेन अपन पीहर के अंगना छोड़,माटी के घरघ्ुांदिया,पुतरा-पुतरी के दुनिया,सखी -सहेली के संगला,दाई-ददा के मया के छांह ल भाई-बहिनी के दुलार ल छोड़ पति के अंगना जाथे पूरा जीवन तियाग,सर्मपण,ममता मं लुटाथे वोहर ऐसे अंगना के घरूवा तुलसी के चैरा बन जाथे,जेह हर बिपदा,बाधा, रोग,षोक ल अपन मं समाहित करिके पूरा परिवार ल रोगरहित बनाथे।

” नारी तुम श्रध्दा हो,विष्व की रजत पग पर बढ़े रहो;”

श्रीमती किरण शर्मा
खरसिया, रायगढ़

3 replies on “नारी अऊ पुरूस दो परमुख स्तंभ”

KIRAN DIDI KO KAHRA BHAIYA KA NAMASKAR . Aap man ek chhote se kahani me etna sara nari ke mahima ke bakhan karke hum sabhi ko anndid kiye, avam jankari diye eske liye hum apke bahoot abhari hai.AAPSE NIWEDAN HAI KI AISI AUR ROCHAK AVAM GYAN VARDHAK KAHANIYA SUNANE KI KRIPA KRENGE . .DHANYAWAD.

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