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कविता

नारी सक्ति

सम्मान करव जी नारी मन के,
नारी सक्ति महान हे।
दुरगा,काली,चण्डी नारी,
नारी देवी समान हे।।

किसम-किसम के नता जुँड़े हे,
नारी मन के नाव में।
देंवता धामी सब माँथ नवाँथे,
नारी मन के पाँव में।।

रतिहा बेरा लोरी सुनाथे,
डोकरी दाई कहाथे।
नव महिना ले कोख मा रखके,
महातारी के फरज निभाथे।।

सात फेरा के भाँवर किंजर के,
सुहागिन नाव धराथे।
दाई ददा के सेवा करके,
बेटी ओहा कहाथे।।

भाई मन के कलाई मा सुग्घर,
राखी के धागा सजाथे।
मया दुलार करथे अउ,
बहिनी ओहा कहाथे।।

सम्मान करव जी नारी मन के,
नारी सक्ति महान हे।
दुरगा काली चण्डी नारी,
नारी देवी समान हे।।

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
मों.9009047156