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समीच्‍छा

नीम चघे करेला- ‘कड़ुवाहट संग हांसी’

पुस्तक समीक्छा

विट्ठलराम साहू जी के बियंग संग्रह ‘नीम चघे करेला’ गुदगुदी पइदा करथे। विट्ठल जी के अपन भूमिका म लिखे हावय के अपन घर के गोठ, समाज के ऊंच-नीच, अनियाव, रूढ़िवादी विचार, अड़हापन ल सुरता करके ये किताब ल लिखेगे हावय। सही आय। जम्मो लेख मन घर अउ तीर तार के आय। अधिकतर लेख मन अपन गोसइन ऊपर लिखे गे हावय। हांसी-बियंग के बात अपन परिवार अउ जीवन संगवारी संग करे जाथे तभे अच्छा हे। दूसर संग करे ले हांसी बियंग ह विवाद पइदा कर सकथे।
बियंग म समाज के, जीवन के सच्चाई घलो दिखथे। पंचायती राज के सच्चाई दिखावत लिखे हावय, के एखर ले पति ऊपर ‘सरपंच पति’ हावय जेखर राज चलत हावय- सरपंच पति ओहर गांव म डोमी सांप जइसे गरजत हे, लाखों रुपिया डकार के सीबीआई वाला घलोक ल आंखी देखावत हावय। देश सेवा ऊपर करारा बियंग करे हावंय। जौन ह कभू अपन दाई-ददा अउ डउकी-लइका के सेवा ल नई करे हे तेन हा का देस सेवा करही। ऊंखर वाक्य रचना हास्य पइदा करथे।
मनखे ह हांसत-हांसत पेट ल धर लेथे। बियंग म अइसना कोनो छेत्र नइए जेन ह छुटे होही। कुछ अइसना सब्द के प्रयोग करे हावय जेन ह सभ्य समाज परिवार के बीच म बइठके बोलना अच्छा नई समझे जाय। ‘पादना, मूतना’ सब्द के परयोग के जगह सही होना चाही।
सरकार के बिरक्छा रोपन ऊपर बियंग सटिक हावय। सरकार के करोड़ों रुपिया खर्चा करके पौधा लगइन अऊ सब बिन पानी के मर जथे। गांव के हवा-पानी असुध्द होथे मील के धुंगिया म।
30 ठक बियंग के पुस्तक नीम चघे करेला के नाव सार्थक नई लगीस। येमा करूवापन के आभास होथे। हांसी-बियंग के आभास देतिस त अऊ बने लागतिस। लेखक अपन रचना म सफल हे। हांसही सब कठल के हांसही अऊ काय चाही।

अपूर्व

पुस्तक के नांव- नीम चघे करेला
प्रकासक- आस्था साहित्य समिति, महासमुन्द
मुद्रण- पहचान प्रकासक
मूल्य- 150 रुपए