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कविता

नेता पुरान

कोकडा कस देह उज्‍जर, करिया हे मन ।
आनी बानी के बाना, धरय छन-छन ।।

घेरी बेरी बदलय, टेटका कस रंग ।
कोनो नई जांनय इंखर ठंग ।।

हाथ लमाए हस, छुए बर अकास ।
अंतस म छल-कपट सुवारथ सत्‍यानास ।।

जनता के सुख दुख ले इनला का लेना ।
अपन मतलब के छापत हे छेना ।।

मेंछा ल अंटियावत हे, बांधे हे फेंटा ।
देस के बारी ल चरत हे नेता ।।

आनंद तिवारी ‘पौराणिक’ 
महासमुंद