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गोठ बात

पर्यावरण परब विशेष — मोर सुरता के गाँव

आज भले हमर गाव ले गिध्द राज लुकागे पर मोर बचपन के गाव के सुरता में अभी भी हवय मोर बचपन के गाव बड़ सुघ्घर सुन्दर गाव रहिस हरा भरा वातावरण रहिस बड़ निक लागय गाव हा। हमर गाव मा चिरईय —चिरबुन के डेरा रहय ते नानम प्रकार के चिरईय —चिरबुन ला देख ले इकर बोली अऊ इतराई बड़ निक लागय गाव मा बड़का जनिक फुलवारी रहय फुलवारी भर कटाकट रूख राई रहय जेमा अकेला मनखेमन के खुसे के हिम्मत नई होवय बड़े बड़े परिया रहय जेमा राऊत मन गरवा चरावय परिया बने हरा भरा सुघ्घर दिखय। हमर गाव मा एकठन बड़का जनिक तरिया रहय जेमा नानम प्रकार के चिरईय चिरबुन ला ते देख ले तरिया हा बारो महिना लाबालब भरे रहय पानी कभु नि अटावत रहय तरिया भर नानम प्रकार के फल फुल ते देख ले लाल कमल सफेद कमल, खोखमा, पोखरा, लतालू कादा, डेस कादा अबड़ रहय जेकर सेती तरिया  के सुन्दरता मा चार चाद लग जाये। अब देख मनखेमन के अत्याचारी अऊ ऊकर संख्या बाड़े ले अऊ समय के खेल ले आज तरिया के सुघ्घराई सिरागे जम्मो जिनिस तरिया के सिरागे नानम प्रकार के चिरईय चिरबुन सब उड़ागे किसम किसम के फल—फुल जम्मो सिरागे आज देख तरिया खड़खड़ ले सुखागे। आज देख जवाना कतका बदलगे हमर सरग जैसन गाव आज नरक जैसन बनगे गाव के जम्मो परिया —फुलवारीमन मनखे के संख्या के दबाव मा खेत धनहा बनगे फुलवारी के रूख—राई जम्मो कटागे चिरईय चिरबुन के डेरा उजड़गे परिया के सिराये ले घर मा लक्ष्मीमाता बधागे देख आज कतका बदलगे मार बचपन के गाव सुरता बनके रहिगे। पहली हमर गाव के कौवामन सनझा—बिहनीया के आरो दवय कहु सनझा के बेरा मा कौवामन काव—काव करतिच त जान ले अधियार के बेरा होगे कहु मुधरहाकन कौवा मन काव काव करतिच त जान ले बिहनीया होगे। बेरा होये के बाद कहु कौव मन काव काव करतिच त जान ले आज घर मा कोनो सगा(पहुना)अवईया हे फेर आज कौवा मन के आरो नी मिलत हे पता नही कहा लूकागे। गाव मा पहली पहरा दे के काम कोलिहा —बिघवामन करय आठो पहर ईमन अपन पहरा देव अऊ बेरा के अनुमान लग जाये पर आज देख इकरो आरो नी मिलय रात दिन मोटर गाड़ी के आरो जादा मिलत हे पहली के पहरा देवय कोलिहा—बिघवा पता नही कहा गवागे खोजेमान नी मिले।

मोर बचपन के गाव कहा लूकागे,
मोर सुरता बनके आखी मा समागे।
ओ दिन गुजरगे ओ समय निकलगे,
देख आज जवाना कतका बदलगे।

सुघ्घर हरियाली फुलवारी—परिया सबो सिरागे,
धनहा —खेत बनाये बर रूख—राई कटागे।
चिरईय—चिरबुन, के बोली नदागे,
कोलिहा बिघवा, जानवारमन के ठऊर ठिकाना सिरागे।

बाहर—भितर जाये के परिया सिरागे,
बिन चारा के गाय गरवामन बधागे।
सनझा बिहनिया के आरो देवईया कौवा लूकागे,
पहरा देवईया कोलिहा—बिघवा सिरागे।

मोर सुरता बनके आखी मा समागे।
ओ दिन गुजरगे ओ समय निकलगे,
देख आज जवाना कतका बदलगे।

मोला आज दुख होथे कि हमर देश मा कतको गाव के हालत मोर गाव जैईसन हे मनखे के संख्या बाड़े के करन आज परिया —फुलवारी, जंगल सबो सिरावत हे जेकर कारन पहली के चिरईय चिरबुन, जानवरमन नदावत हे संगे संगे प्रदुषण तको बाड़त हे । हमन चिनता करे ले कुछु नी हो पावे हमन ला मिलके काम करे ला पड़हि पर्यावरण ला बनाये ला पड़हि पहली जैइसन वातावरण लाये ला परहि। आवव संगी मिलके रूख—राई लगईन पर्यावरण ला फिर से बचाईन पहली जैसे सुघ्घर गाव बनाईन।

हेमलाल साहू

4 replies on “पर्यावरण परब विशेष — मोर सुरता के गाँव”

आपके गाँव के बरनन बने लागिस संगी

बहुत सुघ्घर वर्णन करे हस संगी गांव के
बधाई हो।

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