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गोठ बात

पर भरोसा किसानी : बेरा के गोठ

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रमेसर अपन घर के दुवारी मा मुड़ धर के चंवरा मा बैइठे हे उही बेरा बड़े गुरुजी अपन फटफटी मा इस्कूल डाहर जावत ओला देख परीस।खड़ा होके पूछिस का होगे रमेसर? कइसे मुड़धर के बइठे हस ? रमेसर पलगी करत कहिस- काला काहंव गुरुजी, बइला के सिंग बइला बर बोझा। तुही मन सुखी हव।गुरजी कहिस-तब कहीं ल बताबे कि अइसने रोते रबे, बोझा ल बांटबे त हरु होही।बिमारी के दवाबूटी करे जाथे। रमेसर हाथ मा मुड़ी धरे कहे लगीस- किसानी के दिन बादर आगे गुरजी ,हाथ मा एकोठन रुपया नइ हे। पाछू बच्छर के करजा छुटाय नइ हे।फेर खेती किसानी करना हे कइसे होही कहिके मुड़ी धर के बइठे हंव।असाढ़ के बादर घुमत हे खेती संवारे बर तुतारी देवत हे।गुरुजी कहिस- देख रमेसर कहे जाथे “खेती अपन सेती” फेर आज तुमन पर भरोसा खेती किसानी करत हव। परोसी के हाथ म सांप मरवाय ले काय होथे तेला जानत हस।आज धान के बिजहा नइ राखत हव।हाइब्रिड के चक्कर मा पइसा लुटावत हव ।घुरवा के गोबर खातू स्वचछता अभियान के चढ़ावा मा चल दिस।रसायनिक खातू,दवई मा खरचा करत हव। कमाय बर कोढ़िया होगेव ।नांगर बइला उन्नत खेती मा फंदागे।टेक्टर मा जोतई बोवई अऊ मतई करत हव।सब पर भरोसा।पइसा नइ हे तब करजा बोड़ी करत हव।इही उन्नत खेती आय।निंदई नइ करके निंदानासक बउरत हव।धान ल कतकोन बिमारी ले बचाय खातिर, बाढ़े अऊ, पोटराय खातिर आनी बानी के रसायनिक दवई डारत हव।आखिर मा लुवाई अऊ मिजाई घलाव ल टेक्टर थ्रेसर हारवेस्टर मा करत हव। अतका होय के पाछू धनलक्ष्मी ल अपन घर मा नइ लावव, बहिरे बहिर भाड़ा करके मंडी भेजवा देवत हव। अब बता रमेसर कोन करा तै अपन जांगर खपाय अऊ कोन करा पइसा बचाय।तोर खेती मा तैं नांगर नइ जोते, धान नइ बोय, निंदई नइ करे,खातू कचरा नइ डारे, लुवई मिंजई नइ करे तब तैं करजा मा नइ बूढ़बे त कइसे करबे।पर भरोसा खेती करत हस तभे मुड़ धरके रोवत हस। रमेसर मूहूं फार दिस।गुरुजी के सबो गोठ सुन के ओकर बुध पतरा गे। थोकिन साहंस भरके कहिस- सही कहात हव गुरुजी फेर कइसे कर सकत हन। पढ़े लिखे बहू आय हे ओ खेत नइ जान कहिथे।बेटा पढ़ लिख के नउकरीच खोजत हे।खेती नइ करंव कहिथे। गाय गरु झन रखव कहिके बइला ल बेंचवा दिन हे।हमर मन के उमर बाढ़त हे अऊ जांगर खंगत हे।बनिहार नइ मिलय।तब खेत ल परिया घलो नइ पार सकन।ऐकर सेती अइसने किसानी करत हन। गुरुजी पूछिस – तोर खेत मा तो बोर खनाय हस का? के फसल लेथस। कहां गुरुजी , बोर मा पानी कम निकलिस त धान के एक फसल लेथंव। बस इही तोर करजा मा लदाय के कारन आय। आजकल तीन फसल के खेती होवत हे अउ तैं एक फसल मा घिरयाय हस। मोर बात ल मान अउ ऐसो ले कम से कम तीन फसल लेय के उदिम कर ,कम पानी वाला फसल लगा एकर बर ग्राम सहायक मन संग मिल अउ गोठिया।अतका सुनके रमेसर के मुड़ी ले हाथ उतर गे। गुरुजी कहिस – सुन रमेसर आज करजा मा खेती तोरेच गलती नइ हे एकर बर बहुत झन जिम्मेदार हावय।बिदेसी नकल,सरकार के नीति अऊ सरकारी अधिकारी, उन्नत खेती के भरम, दवई बेचाईया कंपनी ,सही जनकारी नइ होना अउ पर भरोसा खेती।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा जिला-गरियाबंद