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फिलमी गोठ

फिलिम बनाबो फिलीम बनाबो

ये फिलिम वाले मन के चरित्तर हा अब तो छत्तीसगढ़िया मन के समझ ले बाहिर हे। काबर कि जउन फिलिम उद्योग म तरी ऊपर फिलिम ह बनत हे तउन ला देखे के बाद आम दरसक माने छत्तीसगढ़िया मन ला छत्तीसगढ़ी के सुवाद हा नई मिल पवत हे। जम्मो फिलिम हा बालीवुड ला कापी ऊपर कापी करत हे। तइसे लागथे नहीं भलुक कापीच करते हावय। कथा पटकथा संवाद म नाममात्र के छत्तीसगढ़ी भासा के प्रयोग, गीत म नंगत के मार गारी के आखर, धुन अइसन कि लोकधुन हा कई कोस पाछू फटकागे हावय। इहां बस फिलिम बनाबो। फिलिम बनाबो के अंधरा दउड़ होवत हे। लगभग ग्लैमर के मार-धाड़ शुरू होगे हावय। द्विअर्थी संवाद अउ बाहिरी हिरवइन मन के ऊटपटांग प्रदर्शन हा लोगन ला पारिवारिक मनोरंजन ले दुरिहा करत हे। ये बात पांच कोरी सत्य हे कि कोनो भी क्षेत्रीय फिलिम हा अपन क्षेत्रीयता ले दुरिहाही तेखर परिणाम फिलिमकार मन ला बहुत जल्दी दिख जाही। हम देखथन कि बालीवुड हा हॉलीवुड ला नकल म उतारथे त दरसक के माने हिन्दी भावी दरसक के पहुंच ले दुरिहा जाथे। इही रकम ले क्षेत्रीय फिलिम के परिणाम होथे। कतका बढ़िया लागत होही वो प्रदेश के दरसक मन ल जिंखर संस्कृति हा भारतीय फिलिम म उतरत होही अउ वो प्रदेशिक फिलिम के नकल या कहन कि संस्कृति ला भारतीय फिलिम हा उतारत हे त ओखर श्रेय वो क्षेत्रीय फिलिम के कलाकार अउ फिलिमकार मन ला जाथे। इही आस अउ विसवास हमर क्षेत्रीय फिलिम के कलाकार अउ फिलिमकार मन ले हावय। लेकिन लागथे कि ये छत्तीसगढ़िया मन के सपना हा सपना रही जाही अउ रतिहा पहा जाही। जरूरत हे योग्य, कर्मठ, ईमानदार फिलिमकार मन के अउ जरूरत हे कि अइसन फिलिमकार मन ला प्रोत्साहन देवइया के। जब हम ये समसिया ल लेके फिलिमकार मन ले गोठ करथन त हमला जवाब मिलथे कि कोन हा रिस्क लिही। त मंय कहिथंव छत्तीसगढ़ म फिलिम निर्माण ही अपन आप म रिस्क हरय, त रिस्क ले मा का हे। वइसे भी बिना जोखिम उठाय महान कृति के रचना संभव नइहे। मनोरंजन उद्योग के कदम-कदम म आर्थिक रूप ले जोखिम होथे अउ महान काज बर लेय जोखिम हा अबिरथा नइ जावय।

चम्पेश्वर गोस्वामी