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फिलमी गोठ

फिलिम समीच्छा : गुँरावट छत्तीसगढ़ीया मन के हिरदे म खुसरही

छत्तीसगढ राज बने के बाद सबो डहर ले राज हा अधवावत हे चौतरफा विकास के धजा लहरावत हे भले पेड़ कटावत हे फेर बिल्डिंग अउ सड़क हा राज ला समरिद्धी के खिपहसार देवत हे ये विकास के नाव म सेखी बघरइया तथा विकास के पुजेरी मन बर सथाल हे। सवाल म अउ कई ठीन सवाल हे ओमा संस्कृति के सवाल हे अब संस्कृति के सवाल म एक ठीन जबर सवाल ये हे कि कला संगीत अउ परंपरा के गढ कहां है? बीते बच्छर मा कला संस्कृति संगीत म राज हा बड़ नाव कमाये हे जएप म डत्तीसगढ़ी फिलीम के बाढ़ हा परमुख हे। फिलमी उद्योग अइसन उद्योग हो थे जउन म कोरी-कोरी फिलीम निर्माण होवे अउ दूये चार ठन हा चल पाथे। यानग बपत विऊनरमम म ण्क ठीन अउ सुग्धब् असन फिलीम बने हे अउ वो फिलीम हे गुँरावट जउन म रंक कर्मी लोक कलकार अउ निर्माता श्री चंद्रशेखर चकोर हा संस्कृति अउ परंपरा के बात ला कहिन म उठाय हें, ओमन छत्तीसगढ़ के गुँरवट परंपरा ला फिलीम म देखाके छत्तीसगढ म फिलीम उद्योग ला एक रद्दा देखे के उमिद करें है। कहानी पारीवारिक परिवेश अउ प्राकृतिक दृश्य ला बड़ तन्मयता ले देखाये के परयास करें है। उही मेरा लोक संगीत के विद्या ल गीत म सार्वजनिक करें हेै। एक कोती जिंहा बालीवुड ला नकल करके छालीवुड के नकलची मन अघवाये के प्रयास करत है उहें दूसर कोती मौलिक गीत मौलिक कहानी के संग रेगंत चकोर हा जोखिम उठाय के हिम्मत करें। स्थानीय अउ छत्तीसगढीया कलाकार मन ले पटाये ये फिलीम म कविवर लक्ष्मण मस्तुरिया लोक गायिका ममता चंद्राकर, कविता वासनिक के सुग्घर सुर हा फिलीम म बासी संग चटनी के काम करत है, मर्यादित हांसी अउ ठीठोली ले भराये फिलीम हा दर्शक ला उद्देश्य तक पहुंचाये म सफल है। फेर इही बीच कुछ कमजोर कड़ी घला ये फिलीम म दिख थे अउ वो कमजोर कड़ी हे प्रचार के। हो सकत हे पर्याप्त प्रचार के अभाव म चकोर ला टाकीज म दर्शक के कुछ दिन अगोरा करे ला पर जाय। बाकी सब ठीक है अउ ये फिलीम छत्तीसगढ़ीया मन के हिरदे म खुसरही अइसे तो लागत हे। छत्तीसगढ़ीया मन खुदे के फिलीम के जय-छत्तीसगढ़ परचार करही।
चम्पेश्वर गोस्वामी
आरंभ मा पढव : – सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्‍लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’