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कविता

फेर दुकाल आगे

आंखी होगे पानी-पानी
मन हा मोर दुखागे
रद्दा जोहत बरसा के
आसाढ़ घलो सिरागे

कइसे बदरा उड़ियात आही
रूख-राई घलो कटागे
अइसन हम का पाप करेन
बरूण देव घलो रिसागे

धान हा बोआये नईहे
अऊ बियासी के बेरा आगे
रद्दा जोहत बरसा के
भुंइया घलो थर्रागे

नई सुनावय टर-टर बोली
लागे मेचका घलो नंदागे
पूजा-पाठ ला करत-करत
कुकुर घलो बिहागे

पइसा के जमाना पाके
कोठी हा सुखागे
का खाबो पेट भरे बर
सफ्फा धान हा बेंचागे

शहर कोती रद्दा पाके
बनिहार घलो नंदागे
कइसे करबो गुजर बसर
महंगाई घलो झपागे

रद्दा जोहत बरसा के
आसाढ़ घलो सिरागे
आंखी होगे पानी-पानी
लगथे फेर दुकाल आगे
लगथे फेर दुकाल आगे

भोलाराम साहू ’दाऊ’
ग्राम व पोस्ट हसदा-2
थाना – अभनपुर,
जिला – रायपुर (छ0ग0)
मोबा. 963001263