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कविता गीत

बारहमासी तिहार

आज मोर अंगना म छागे उजियारी
चमकत जगमगावत आगे देवारी।
चैत मानेन रामनवमी, बैसाख अक्ती ल।
पुतरा-पुतरी बिहा करेन, चढ़ायेन तेल हरदी ल।
बिहा गाये बर आगिन संगवारी।
 आज मोर अंगना म छागे उजियारी …………
जेठ रहेन भीमसेनी निर्जला के उपास ल।
का बताओं भैया मैं हर तिखुर के मिठास ल।
लगिगे अशाढ़ रे भाई बादर गरजगे न।
मोतिन कस बूँद भैया पानी हर बरसगे न।
लगिस सावन धरती म छागे हरियाली। 
आज मोर अंगना म छागे उजियारी …………
राखी पुन्नी आईस भाई बहिनी के पावन गा।
भादो आईस तीजा लेके बिदा करेन सावन ल।
कमरछठ अऊ आठे कन्हैया मानेन सब तिहार ल।
आईन पितर देवता मन सब लेइके कुँवार ल।
दसरहा के मानत ले आगे देवारी।
आज मोर अंगना म छागे उजियारी ………..
चौंक पुरेन अंगना म आइस अगहन गुरूवार।
हेरा-हेरा कोठी के धान आगे छेरछेरा तिहार।
पूस म लुआएन गा तिंउरा-ओन्हारी।
आज मोर अंगना म छागे उजियारी …………
मांघ मास आईस आमा मउर ल बंधावत हे।
फुदकत डारा म कोइली मधुर गीत गावत हे।
फागुन आईस धर के रंग के पिचकारी।
आज मोर अंगना म छागे उजियारी ………….

‘श्रीमती दीप दुर्गवी`