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बाल कहिनी : अइसे धरिन चोर गोहड़ी

बाल कहिनी

सबो चोरी ओतके बेर होथे, जतका बेर मनखे घर ले बाहिर रथे। ओहर घातेच बिचारिस त सुध आईस, जमे चोरी मं कोनो अवइया-जवइया नइते अइसे मनखे के हात हे, जेहर घर वाला मन के अवई-जवई ला जानथे। तहांले राहुल हर अपन जहुंरिया रमेश अउ वीरेश ल संघेरिस अउ किहिस हमला चोरहा मनके चिन्हारी करके, कुछु उदीम करना हे। वहू दूनो झक चोरी चपटी ले बगियाय राहंय।
डॉ. राउत संझा कुन अपन सुवारी सन किंजरे बर निकलिन। घंटा भर मं लहुटिन ते खोर मुहांटी के तारा टूटे राहय। देख के कउवा गिन। भिरभिरा के दउड़त भीतरी गीन, ते सबसे खोली के तारा टूटे परे राहय अउ चीज बस बगरे राहय अनगतान। हालत ओरखे बर देरी नी लागिस। कोनो एक घंटा मं जमे जिनिस सकेल के भाग गेय हें। डैकी तो बोंबियागे। उघरा अलमारी अऊ तिजोरी देखतेच ऊंकर चेत-बुध हरागे। उत्ता-धुर्रा अलमारी ला तपासिन ते चोर मन सबे गाहना अऊ डॉ. राउत के पेनशन पाय के सकलाय तीन चार लाख रुपिया सपेट लेय है। डैकी मूंड़ धर के बइठगे।
थरथरात हात ले डॉ. राउत हर अलहन बेरा के टेलीफून नम्बर सौ लगाके थाना बाबू (इंसपेक्टर) ला चोरी के हुलिया बतईस। ताहन पुलुस मन कुकुर सियान धर के दसे मिलट मं डॉ. राउत के घर हबरिन। ताहन चालू होगे अंगरी चिनहा अऊ कुछु परछो करे के गुन्ताड़ा। तसने मं एक झक पुलुस ला एक ठन मइलाहा साफी दिखगे। वोहर राउत जोड़ा, साफी ला पुछिस, ते साफी ऊंकर नई रिहिस। त जानगीन चोरहा के आय, धोखा मं गिर गेय हे। साफी ला कुकुर मेर सुंघईन, त ओहर डेरोठी ले भांड़ी मेर ले गीस। फेर ओकर ले आघु कोनों परछो नई मिलिस। ले का होइस थाना बाबू हर राउत जोड़ा करा, तुरते चोरहा के खोज करे के बिसवांस देके लहुट गीन।
येहा हप्ता नई बीते रिहिस, सरकारी मुलाजिम राजेश वर्मा के घर दिनेच मं चोरी होगे। वोहर अपन सगा घर बिहा नेवता मं परिवार सन गेय रिहिस। परोसी मन ला घर कोती झांकत रेहे बर कहि देय रिहिस। फेर चोरमन चतुरई मं चोरइन ते कोनो ला भनक नई लगिस। ओकर पाछू चोर मन एक झक हेड मास्टर के घर हाथ मारिन। हेड मास्टर के सुवारी घला मसटरिन राहय। दूनो पढ़ाय ल गेय रिहिन। बेटी कॉलेज पढ़े बर गेय रिहिस। तसने मं चोर मन हाथ मारिन। सबले संसो के बात राहय, पहिली तो रात मं चोरी होवय। आजकाल दिन मं घर रपोटे जावत हे अऊ एके पारा नीही दूसरो पारा मं घला होवत राहय। पुलुस अलगे खदमदाय राहय। चोर मन के चतुरई टोंटाफांसी राहय।
अइसन कलहोर ल देखके उही पारा के 12मीं (बारमी) किलास पड़हइया राहुल के माथा ठनकिस। ओहा अटकरिस, सबो चोरी ओतके बेर होथे, जतका बेर मनखे घर ले बाहिर रथे। ओहर घातेच बिचारिस त सुध आईस, जमे चोरी मं कोनो अवइया-जवइया नीते अइसे मनखे के हात हे, जेहर घर वाला मन के अवई-जवई ला जानथे। तहांले राहुल हर अपन जहुंरिया रमेश अऊ वीरेश ल संघेरिस अऊ किहिस हमला चोरहा मनके चिन्हारी करके, कुछु उदीम करना हे। वहू दूनो झक चोरी-चपटी ले बगियाय राहयं। ओमन तुरते मानगीन। तीनों मिलके तपासी जोंग बनईन। तय करिन चुप्पे ओ पारा मं अवइया के ताका करबो। संगे -संग चौकीदार के घलो हुलिया लेबो। काहे के गजट मं पढे रिहिन कतकोन चोरी मं चौकीदार के घला सरारती रथे। सबसे पहिली ओमन चौकीदार के हाल-चाल ओकर गांव जाके लीन। पता चलिस वोहा बने मनखे ये अऊ चौकादारी ओकर पुरखौती धंधा आय। सब झन ओकर बाप के सत निमान के उल्था देथें। जेकर कतको चोर ला धरवा के इनाम पाय रिहिसे। पुलुस थाना पता करिन, ते ओकर जम्मे हुलिया दर्ज रिहिस, ओकर नांव के ‘चिन्हारी सर्टिफिकट’ घला बने हे। चोर संग ओकर मेलजोल नइए- अइसे लागिस।
तेकर पाछू पारा मं अवइया-जवइया ऊपर ताका करिन, त जानबा होइस-कबाड़ बीनइया टूरी-टूरा मन कभू-कभू जिही-तिही घर मं ताका-झांका करयं। कभू पेज पानी, त कभू बुता लगे बर ओखी करके भीतरी-बाहिर होत राहयं। अइसन देखके तीनों झक गुनिन का भइगे इही टूरी-टूरी मन चोरहा मन के लंगुरूवा होंही। उन ला ठीहाच मं चोरावत धरे के गुन्ताड़ा बनईन। एकरे सन पारा वाले मन ला सावचेती घला करत गीन। ओमन समझावंय, हरथे लेन-देन के पुरता पइसा ला घर मं राखें, अकताहा पइसा ला बेंक मं राखव। तसने जेवर ला बेंक तिजोरी मं राखव, बर बिहा धनी निकाले करव। बजहरा गाहना-गुरिया ला पहिरे करव।
पारा वाले मन वो तीनों छोकरा के बताय बात ला धरे लगिन। इही बखत अपन जोंगे उदीम ला उठइन। जइसनेच टूट-फूट बिनइया टूरा-टूरी ओ पारा मं हबुरन, तीनों छोकरा मन अपने अपन गोठियाय ल धरिन-‘आज तो जोशी कका हर अपन लोग -लइका सन गरमी छुट्टी मनाय दिल्ली चल दीहीं, ओकर बेटा हमर जहुंरिया संगी घला चल दीही, भारी अखर ही जी…’ अइसे घोर घार के गोठियईन। त कचरा बिनइया टूरा मन तीरे-तीर मं ओधियाय राहंय। तीनों संगी घर कोत रेंग दीन। दूसर दिन ओमन जोशी कका के आघु वाले छानी मं लुका के दूरबीन मं ताका बइठिन। मंझनिया होत ले कोनो नी आइन, त राहुल हर रमेश अऊ वीरेश ल जेवन पाय बर भेजिस। तेकर पाछू राहुल जेव खाय गीस। अपन मोबाइल ला देवत किहिस, कुछू संखा होही ते घर मं फोन लगाबे। वीरेश अऊ रमेश ताका करत बइठे रिहिन।
ओमन देखिन, तीन झक बनिहार बानी के मनसे मन कचरा बीनत जोशी कका के घर गीन। दूनों छोकरा, राहुल ला फोन करिस। ओहर खा के अंचोवत रिहिस, संदेश पाके तुरते गीस। ओमन देखिन तीनों कचरा बीनइया मन धीरे कुन जोशी कका के घेरा ला कुद के भीतरी चलदीन। तीनों जान डारिन ओमन चोराय बर गेय है। राहुल ह पुलुस करा फोन करके उही पारा जोशी घर बलईस। थानादार हर सिपाही लेके हबर गीस अऊ घर ला घेरिन। ओ डहर पिस्तोल चिकचिकात राहय। हिम्मत करके दू झक पुलुस मन लुकावत जाके बाजू के छानी म चढ़ गीन। चोर मन गोली नी मारिन, त छानी वाले पुलुस मन समझ गीन, ऊंकर पिस्तोल हा नकली हे। ताहन भीतर कुद के चोर मन ल धर डारिन। तसने मं थानादार अऊ सिपाही मन हबर गीन अऊ चोर मन ल बांध के थाना ले गीन।
उहां चोर मन बतईन, ऊंकर बड़खा गोहड़ी हे। दूसर साहर म पुलुस छापा होय के सेती, ये डाहर आके चोरी-चपाटी करना परत हे। ऊंकर बताय जगा ला खोधिया के ऊंकर छै झक संगी मन ला छांदिन-बांधीन। अइसे ढंग ले नितनाम चोरी-चपाटी ले बांचिन। पुलुस सरकिल सहेब हर, राहुल, रमेश अऊ वीरेश ला इनाम दे के, ऊंकर नांव ला वीरता पुरस्कार बर सिफारिश भेजिस।

किसान दीवान
झलप चौक, बागबाहरा
जि. महासमुन्द