Categories
कहानी

बाल लेखक सार्थक के कहानी : संगवारी

बोड़रा नाम के गांव रिहिस जी। उहां दू झन संगवारी रिहिस। एक के नाव बल्लू, दूसर के नाव स्याम। दूनो संगवारी जब समे मिलय, सनझाती बेरा, घूमे बर जाये। बल्लू अनपढ़ गंवार रिहीस, फेर सरीर ले बढ़ तगड़ा। दूसर कोती स्याम पढ़हे लिखे रिहीस, फेर सरीर ले कमजोर। एक दिन, सांझकुन जावत जावत दूनो झिन गोठियावत रिहिस। स्याम किथे – गनेस चनदा मांगे बर काली गांव के लइका मन आये रिहीन जी। में कहि पारेंव, बल्लू जतका दिही ततके महूं देहूं कहिके। मे जानत हंव, तोर मोर हैसियत एके बरोबर हे, ते उही ला धियान राख, चनदा देबे। बल्लू कथे – तोर करा मोर ले जादा हे स्याम भई ….. हांसिन दूनो झिन …..।




दूसर दिन संझाती फेर निकलीन, बाते बात म चनदा के बात फेर निकल गे। स्याम हा बल्लू ला गारी देवत रिहीस के – अतेक चनदा काबर दे हाबस। बाते बात म बात बाढ़गे। दूनो के बीच मनमुटाव होगे। नानुक बात बर, अतेक दिन के दोसती टूटगे।
अभू दूनो संगवारी अकेल्ला अकेल्ला घूमे बर जाये अऊ अकेल्ला अकेल्ला बूता काम करे। दूनो के खेत घला एके जगा…। फेर बोलचाल आना जाना चुमुक ले बंद ……। एक दिन स्याम ला कुछ मनखे मन, बाते बात म मारन लागीस। बल्लू देख के घला, छोड़ाय बर नी गीस। दोनो के दुसमनी अऊ बाढ़गे।




एक दिन बल्लू के खेत ला, पटवारी नापे बर आगीस। सरकारी भुंइया ला जबरन कबजियाके खेत बना डरे कहिके, पटवारी हा, बल्लू ला चमकाये लगीस। बल्लू घर अइस, फिकर म, बिमार परगे। चार दिन ले ले जादा होगे, खेत नी गीस। खेत के पानी अटागे। धान पिंवराये लगीस। स्याम के बई ले नी रेहे गीस। ओहा, बल्लू के, खेत नी आये के कारन पता करीस। ओला पता चलीस के, बल्लू बिमार हे अऊ बिमारी के कारन पटवारी आय। स्याम ला बतइस। रात कुन सपना म स्याम ला, बल्लू के नान नान नोनी बाबू के चेहरा, कलपत दिखिस। रात भर सुत नी सकीस स्याम। बिहिनिया, पटवारी करा जाके ओला गलत सरवे अऊ नापा जोखा करे बर धमकइस अऊ किहीस के, तुरते बल्लू घर जाके, अपन गलती बर माफी मांग। अपन खुदे, ओतकीच बेर, अपन खेत के सकलाये पानी ला, मेड़ फोर के, स्याम के खेत मा पलो दिस। पटवारी घला, बल्लू घर जाके, माफी मांग डरीस। दूसरइयाच दिन, बल्लू ला स्याम के उपकार के पता चलगे। बल्लू अपन गलती बर माफी मांगिस। बल्लू ठीक होगे। खेत चारेच दिन म हरियागे। इंकर दोसती घला फेर ले पोट्ठ होगे ……।

सार्थक देवांगन

सार्थक ह कक्षा छठवीं म पढ़थें अउ वरिष्‍ठ साहित्‍यकार हरिशंकर देवांगन जी के पुत्र आंय। इंखर पता हे 230/2 W. R.S कालोनी, रायपुर.
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]