Categories
व्यंग्य

फेरीवाला

हमर देस हा जबले अजाद होय हावय तेन बखत ले सबला अजादी मिलगे हावय। तेकरे सेती कोनो हा डर नाव के कोनो जिनिस होथे तेनला भुलागे हें। अजादी मा डर के कोनो बाते नईहे। ईही अजादी के फेरा मा जेनहा काय होही देखे जही कहिके कुछु करथे तेकर काहीं घलो नी होवय। अउ डरराय असन ईमान ले जेनहा कुछु करथे तेकरे टोटा मा फांसी वोरमात रिथे। मोला तो अजादी के पर भासा समझे नी आय। नानपन मा दाई-ददा के बंधना, उहा ले निकले तहाने गोसईन लोग-लईका के बंधना अउ बुढ़ापा मा-येहा केहे के गोठ नोहे। मोरे फेरा ला देख लेव न भाई तुमन येकर ले बाचे होहु तब बताहु…. पराभिट चाकरी वाला हरों कहिके निच्चट फुक-फुक के गोड़ ला मड़हाथों।

परानी ला रासन पानी सिराय ते रहाय वोकर ले वोला कुछु लेना-देना नी रहाय। वोला अपन सवांगा मा कोनो कमी नी होना चाही। का करबे सवांगा हा सासतर मा नारी धरम के निसानी केहे गेहे। तेकरे सेती येमा कुछु कहात अउ कटोती करत घलो नी बने। महीना पुरथे तहाने तनखा के दिन बिचारी हा सुरसा कस मुहु फारे देखत रिथे। हर महीना समझात घलो रिथों देख गोसईन हमन नान्हे पगार वाला हरन। काकरो हिजगा करे ले हमला काय मिलही। अपन हेसियत ल देखत हमला खरचा-पानी करना हे, कमती होही ते दुसर हा लाके नी दे देवे। अतेक समझाय के बाद मानबे नी करे त हतास होके टार बिया ला कहिके केहे ल छोड़ देंव।

पगार मिले दु चार दिन नी बीतन पईस बिहने टिफिन मा दार भात भर ला जोर दिस। संझा घर आयेंव त साग बर केहेंव त किथे पईसा सिरागे त काय करन। अतका सुनेंव ते रिस हा मोर मुड़ी मा चढ़गे। मेहा केहेंव कईसे वो दु दिन होय नईहे पगार मिले अउ पईसा सिरागे कथस अउ महीना सबो बाचे हावे कईसे करबो? अतका केहेंव ते मोरो बर अंगार असन होगे भई। कलेचुप कुनमुनात बईठे रेहेंव अउ एकर सिवाय काय कर सकत रेहेंव। फेर गोसईन के मुहु एक घांव खुलगे ते बंद कहां होने वाला। किथे- एक घांव साग रांध के नी जोरेंव ते अतक गोहार परगे के काय बतांव। सरी दिन अईसने करतेंव ते कोनजनी। पईसा हा उरकगे त कहांले साग-भाजी आही। मैं केहेंव-तोला पहली ले चेताय रेहेंव पईसा ला महीना भर ले पुरोना हे अउ दु दिन नी बीते हे पईसा खतम होगे किथस। गोसईन किथे-हेहो मेहा अपन दाई भाई ला धरा देथों। वोमन तो कहीं ल देखे नई हें न मेंहा देखे हांव? तुमहर घर मा आय हंव त देख परे हंव। अईसने चलते रिहिस तेला नोनी हा सुनत रिहिस। वोहा मोला किथे- ददा चार दिन पहली फेरी वाला आय रिहिस त पारा-परोस के मन चददर अउ आने कपड़ा लीन त दाई हा घलो चार ठन चददर ल ले हावे। का बताव रे? तईसे लागिस। मेंहा केहेव कईसे वो तोला कहीं लागथे के नही परानी किथे काय होगे तेमा अतेक बोमियात हस। मिही बड़ जनिक अपराध कर डरेंव तईसे। परोस मा मोहन मोर संगवारी रहाय वोला केहेंव कईसे जी तुमहरो घर चददर ले हावे कहिके सुने हांव फेरी वाले करा? देखा तो तुमहर चददर ला कतेक पान हावे तेनला। मोहन किथे- मेहा तो नी जानों जी रहा मेहा घर कोती पुछत हंव। पता चलिस उंकरो घर पांच ठन चददर ल नपा डरे हावे। उकरों घर अपन गोसईय्या ला हबके असन करथे काला बताबे अपने फदित्ता ताय। तेकरे ले आंखी कान मा पोनी ला डार के कलेचुप रेहे रा। मेहा तो थोर बहुत मौका देखके डाट डपट करि लेथों फेर मोहन बिचारा हा बड़ सिधवा हरे। तेकरे सेती पिसात रिथे।देखा तो चददर ला कहिके अपन घर के अउ मोहन घर के चददर ला मांगायेंव। देखब तो बने दिखत रगाय जठा के देखेव त खटिया के आत रिहिस हावे। कडकडहा लगिस त पानी मे डार के देखेव नीचो के सुखायेव वोकर बाद जठाके देखेव ते खटिया ले कतकोन के छोटे होगे रहाय। फेर कडकडाहट हा जाबे नी करे रिहिस। फेर पानी मा डुबोयेंव सुखाय के बाद देखथों ते चददर हा अतका छोटे होगे ते काय बंतावं टावेल हा घलो वोकर ले बड़े रिथे। हमर मनके तो करम हा फुटहा हावे काय करबे। फेरी वाला कोन हरे कहां रिथे अब ये जिनिस के काय होही तेकर कोनो माई बाप नइहे। गोसईन मनला अभीन तो समझ आगे फेर काली बर कोनो फेरी वाला आही तहाने फेर जुन्ना गोठ ला भुला जही। अउ फेरी वाला हा अपन फेरा मा लपटात अपन उदीम ला सिध करत जही।

दीन दयाल साहू