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कविता गीत

बिहान होगे रे

बैरी-बैरी मन मितान होगे रे
हमर देश म बिहान होगे रे
तीन रंग के धजा तिरंगा धरे हे भारत मइया
केसरिया हर त्याग सिखोथे सादासत्य बोलइया
हरियर खेत के निसान होगे रे।
हमर देश म बिहान होगे रे
बीच म चरखा गांधी बबा के गोठ ल सुरता करथे
सत्य अहिंसा के रद्दा छोड़े ले गोड़ म कांटा गड़थे
इही बात के गियान होगे रे।
हमर देश म बिहान होगे रे
भूमिहीन भाई मन बन गिन अब भुइंया के स्वामी
कांध म कांध ल जोर के भैया करथे खेती किसानी
अब बनिहार मन किसान होगे रे।
हमर देश म बिहान होगे रे
ऊंच नीच खंचवा हर पटागे हो गिन सबो बरोबर
छुवा-छूत घुरूवा म फेंकागे बन गिस खातू गोबर
सबके तन म एक परान होगे रे।
हमर देश म बिहान होगे रे
चलत हावे कल करखाना ये भुइंया के छाती म
लोहा हर सोन्ना बन जाथे उपजथे पारस माटी म
हिन्दुस्तान हर महान होगे रे।
हमर देश म बिहान होगे रे
‘श्रीमती दीप दुर्गवी`