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कविता

बेटी ल झन मारव : विजेंद्र वर्मा अनजान





बेटी हमर जान ये अऊ बेटी हमर शान,
सीखव ओकर से सीख अऊ करव ओकर मान,
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I

किलकारी ल गुंजन दव अऊ भरन दव उड़ान,
धरती म अवतरण दव करव तुमन गुमान,
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I

बेटी पढ़ावव,बेटी बढावव,अऊ बढावव ओकर गियान,
पांव में बेड़ी बांधके मत करव ओकर अपमान
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I

सपना मा जईसे ओकर पाख लगे करव अईसन काम,
ओला सहेजव,संवारव संगी तभे होही कलियान,
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I

कल्पना ल ओकर उड़ान देवव साक्षी कस बनावव बलवान,
अतेक निरदयी मत बनव संगी, जगाही अलख तोर नाव
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I

विजेंद्र वर्मा अनजान (नगरगाँव)
9424106787