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कविता

बेनी मा फूल गूंथे के दिन

बेनी मा फूल गूंथे के दिन
फूल वाले घाटी फेर होगे
सुहागिन
कली मन के मुस्काए के दिन,
धूप छांह के छेड़ छाड़ के दिन
भंउरा मन के टोली उतरगे
बाग बगीचा मा
कोनो मुस्काए मंद-मंद
गुल मोहर के तरि मा,
कोइली कुहके अमरइया
पपीहा वन उपवन
लाल दहकत टेसू वाला दिन,
अमलताश डाली-डाली मा
आ गे निखार
दे गे संदेश
मउसम के अखबार
कोनो गांव सजे मंड़वा
कोनो गांव चले बारात
गेहूं अउ सरसों के
झूमे झामे के दिन
चंदन वन ला चूम के
आवत हवा देगे संकेत
दूरिहा, बड़ दूरिहा तक
दिखत हावय पिंयर पिंयर
सरसों के खेत
गोड़ मा माहूर रचाए के
बेनी मा फूल गूंथे के दिन

चेतन आर्य
बसन्ती निवास, सुभाष नगर
महासमुंद