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गोठ बात

भाई -बहिनी के तिहार – राखी

(राखी तिहार विशेष)
भाई बहिनी के सबले पवित्र तिहार हरे राखी ह। बचपन में भाई बहिनी मन कतको लड़ई झगरा होत राहय, फेर राखी के दिन ओकर मन के प्रेम ह देखे बर मिलथे । राखी तिहार के अगोरा भाई बहिनी दूनो झन मन करत रहिथे।

कब मनाथे – राखी के तिहार ल सावन महिना के पूरनिमा के दिन मनाय जाथे ।ए दिन भाई बहिनी मन बिहनिया ले नहा धो के तईयार हो जाथे ।भगवान के भी पूजा पाठ कर ले थे ओकर बाद बहिनी मन ह रोली, अकछत, कुमकुम ,दीया अऊ राखी ल थारी में सजा के लानथे ।भैया मन ल चंउक पूर के पीढ़ा बनाय रहिथे तेमा खड़ा करथे ।ओकर बाद बहिनी ह भाई मन के पूजा करथे, मिठाई खवाथे अऊ राखी ल बांधथे ।
भाई मन भी एकर बदला में भेंट के रूप में रूपिया पइसा या कपड़ा देथे।

रक्छा करे के वचन – जब बहिनी ह भाई के कलाई में राखी बांधथे तब, भाई ह बहिनी के सब परकार से रक्छा करे के वचन देथे ।अऊ ऐ वचन ल जीयत भर निभाथे ।
जेकर भाई या बहिनी नइ राहे ओमन ह दूसर ल भाई या बहिनी बना के राखी बंधवाथे या बांधथे ।



भगवान ल राखी – राखी ल केवल भाई के ही हाथ में नइ बांधे जाय । पूजा पाठ करे के बाद भगवान में भी चढाय जाथे, ताकि भगवान ह ओकर सब परकार से रक्छा करें ।

पेड़ ल राखी बांधना – आजकल बदलत जमाना में पेड़ में भी राखी बांधे जाथे अऊ, ओकर रक्छा करे के वचन लेथे ।

महराज मन – आज के दिन महराज मन ह घर घर जा के राखी बांधथे ।बदला में सब आदमी ह दान पून भी करथे ।

पौराणिक कथा -स्कंद पुरान, पद्मम पुरान अऊ श्री मद भागवत में वामन अवतार के कथा बताय गेहे।
एक बार राजा बलि ह एक सौ यज्ञ पूरा करे के बाद स्वर्ग ल छीने बर चल दीस।तब इन्द्र देव ह भगवान बिसनु के तीर में जाके पराथना करथे।तब भगवान बिसनु ह वामन अवतार ले के बाम्हन के भेस में राजा बलि के पास जाथे अऊ तीन पांव (डंका)जमीन दान में मांगथे ।राजा बलि ह तीन पांव जमीन दे के वचन दे देथे ।वामन देवता ह अपन रूप ल बड़े करके अकास, पताल अऊ धरती ल पूरा नाप के राजा बलि ल रसताल में भेज देथे ।ए परकार से राजा बलि के घमंड ल चकनाचूर कर देथे ।बताय जाथे के राजा बलि ह अपन भक्ति के बल से भगवान ल रात-दिन अपन आघू में रहे के वचन ले लीस ।अब भगवान बिसनु ह ओकरे तीर में राहे ल धर लीस ।
भगवान ह जब घर नइ आइस त लछमी माता ल चिंता होगे।तब नारद जी ह उपाय बताइस ।ओकरे अनुसार माता लछमी ह राजा बलि ल भाई बनाके ओला राखी बांधीस अऊ अपन पति ल मांग के ले लानिस।ओ दिन सावन महिना के पूरनिमा रिहिसे ।
तब से राखी के तिहार मनाय जाथे ।

महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
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