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कविता

भाग ल अजमावत हावय

दिन-रात पोंगा ल, वजावत हावयं
घर-घर म जाके, रिरियावत हावंय
अईसन छाये हे, चुनावी मऊसम
चारो खूंट मनखे, बगरावत हावंय
कोन्हों कुछु करंय त झन करंय
फेर, लोगन ल आसरा देवावत हावय
नान-नान लईका, जंवरिहा, सियान
दारू पीरे बन गेहें मितान
‘नल’, ‘जांता’ अऊ ‘पत्ती’ छापा
सब्बो ‘खुरसी’ बर ललचावत हावंय
परचार करय बर पियत हावंय
घरा म कलहा मतावत हावयं
गांव ल आदर्श बनाबों कहिथें
नशा-बांट-बांट वोट मांगत हावयं
दारू, मुर्गा, अऊ पईसा हा चुनथे नेता
मतदाता के नाव ह बोहावत हावंय
अपन गियान के खिड़की ल खोले रखहू
जम्मो झन भरमावत हावयं
पांच बरस बर बनही सियान
खुरसी म बइठके भुलाथे गा मितान
‘जीतेगा भई जीतेगा’
‘ईमका-ढीमका जीतेगा’
घर के वोट घलो नई मिलय जेनला
अईसनो मन भाग ल अजमावत हावंय।
श्रीमती सुधा शर्मा
ब्राह्मणपारा राजिम