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कविता

भारत रक्षा खातिर आबे, गणनायक गनेस

भारत रक्षा खातिर आबे,
गणनायक गनेस !
भ्रस्टाचार के बेड़ी म बंधागे !
आज हमर देस !!

गरीब के कोनो पुछइया नइये,
मनखे धरम ल भुलत हे !
गाय मरत हे चारा बिना,
किसान फंदा म झुलत है !!
चोर गरकट्टा मन गद्दी म बइठे,
धरके रखवार के भेस….

राम कुमार साहू
सिल्हाटी,
कबीरधाम