Categories कविताभूख (कबिता) : डॉ. राजेन्द्र सोनी Post author By admin Post date October 2, 2008 बुधारूकठल कठल के रोथेमनटोरा ओखरचूमा लेथेचूमा ह रोटी नोहेमनटोरा हा सोंचथेमयबुधारू खातिररोटी बन जातेंव ।डॉ.राजेन्द्र सोनीचित्र http://feedingavillage.org से साभार Tags Dr. Rajendra Soni ← दू आखर…. : (सम्पादकीय) बुधराम यादव जी → इही तो आजादी आय