Categories
छंद सार

भोले बाबा : सार छंद

डोल डोल के डारा पाना ,भोला के गुन गाथे।
गरज गरज के बरस बरस के,सावन जब जब आथे।

सोमवार के दिन सावन मा,फूल दूब सब खोजे।
मंदिर मा भगतन जुरियाथे,संझा बिहना रोजे।

कोनो धरे फूल दसमत के ,केसरिया ला कोनो।
दूबी चाँउर छीत छीत के,हाथ ला जोड़े दोनो।

बम बम भोला गाथे भगतन,धरे खाँध मा काँवर।
भोला के मंदिर मा जाके,घूमय आँवर भाँवर।

बेल पान अउ चना दार धर,चल शिव मंदिर जाबों।
माथ नवाबों फूल चढ़ाबों ,मन चाही फल पाबों।

लोटा लोटा दूध चढ़ाबों ,लोटा लोटा पानी।
सँवारही भोले बाबा हा,सबझन के जिनगानी।

गाँजा धतुरा भाये तोला,साँप साथ मा तोरे।
आये हवँव शरण मा भोला,आस पुरादे मोरे।

जीतेन्द्र वर्मा”खैरझिटिया”
बाल्को(कोरबा)


One reply on “भोले बाबा : सार छंद”

Comments are closed.