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कविता किताब कोठी

मंजूरझाल : किताब कोठी

तीरथ बरथ छत्तीसगढ म, चारों धाम के महिमा
अन्न-धन्न भंडार भरे, खान रतन के संग म
पावन मन भावन जुग-जुग गुन गावा
अंतस किथे लहुट-लहुट ईंहचे जनम धरि

— गुरतुर भाखा छत्तीसगढी —
दया-मया के बस्ती बसइया ल कहिथें छत्तीसगढिया ।
छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।।
चुहुक-चुहुक कुसियार के रस म, जीभन जउन सुख ।
अड्डसन हे दुध भाखा मनखे के मान बढाथै ।।
भूखन के हे भूख मिटइया अन्न म भरे जस हंड्रिया ।
छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।।
कुरिया भीतर गोठियाथै जांता, ढेंकी भरय जी हुँकारू |
हरथे अपन बोली अंतस के पिरिया, नी छोडन ये मयारू ।।
अमरैया कस जुड ये, हिरदे होथै जुडवैया ।
छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।।
भोजली, जेंवारा, पंडवानी, करमा, सुवा, पंथी, ददरिया |
गा-गा के जाँगर टोर कमइया, दुख के होथें भुलैया ।।
गीत झोरी नंदियाँ-नरवा, जंगल-झाडङी पुरवैया |
छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।।
मया दुलार मिंझार गाय-बछरू संग ग्वाला |
मिठाथे, जस कलिंदर चानी, सुवाद काला-काला ।।
माटी ह महकै चंदन जइसे, तइसे ये बोली बोलइया ।
छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।।

अनिल जाँगडे
ग्राम- कुकुरदी
पो.. जिला- बलौदाबाजार-भाटापारा छ.ग.
मो. 8435624604