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मक्खी-मच्छर मारो अभियान – कबिता

(कविता-जनहित मा जारी)

जौन गढ्ढा मा जनम धरिसे ,

ओला सपाट बनालव

मक्खी-मच्छर ला मारव

अउ तुम उनला दूर हकालव.

मच्छर के चाबे से होथे

डेंगू अउ फायलेरिया

ऊंकर पेट मा घलो पनपथे

चिकनगुनिया मलेरिया.

इंकर बचाव करना हे तुम्हला

मच्छरदानी लगालव

मक्खी-मच्छर ला मारव……….

मक्खी के स्पर्श से होथे

पेचिस,दस्त अउ पीलिया

ऊंकर पांव मा रहिथे बीमारी

हैजा अउ मोती-झिरिया

इंकर से बच के रहना हे तुम्हला

साफ-सफाई अपनालव

मक्खी-मच्छर ला मारव……….

खाये-पीये के चीज मा अपन

इनला झन बैठारव

खोमचा,ठेला ,खुली जगह के

चीज ला झन तुम खावव

इंकर बीमारी होगे जिनला

ओखर इलाज करावव

मक्खी-मच्छर ला मारव……….

मनखे के दुस्मन हे इमन

बहुत बीमारी के जड़ हे

जौन इंखर से करे दोस्ती

उनला तुम समझालव

मक्खी-मच्छर ला मारव

अउ तुम उनला दूर हकालव

मक्खी-मच्छर ला मारव……….

(डाक्टर चैतन्य निगम के सहयोग ले ये कविता के रचना होय हे)

श्रीमती सपना निगम ,

आदित्य नगर,

दुर्ग (छत्तीसगढ़)