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कविता

ममा घर के अंगना

नाना – नानी घर खेलेंन कुदेंन
चांकी भवरीं अउ मैना उड़
नीम के छाँव रहिस
कबूतर के घर म डेरा
छोटे नाना संग घूमे ल सिखेंन
ममा घर के अंगना
भई भई सब अलग बिलग होगे
अंगना होंगे अब सुना
कोनो ल कोनो से मतलब निये नीम के छाँव बुडगागे
अंगना के कबूतर उड़ागे
घर होगे सुना सुना
पास पड़ोस के संगवारी भुलागींन
तरिया के पानी सिरागिस
गली खोल के बैठाया सिरागिस
सुना होगे घर अंगना
बछर बीत गईस अब
भांचा सुने बर
नाना – नानी घर
ममा घर के अंगना

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल “
गांव कोसीर
तहसील सारंगढ़
जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़
09752319395