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कविता

मया के दीया

घर कुरिया, चारों मुड़ा होही अंजोर
फुलवारी कस दिखही महाटी अऊ खोर
जुर मिलके पिरित के रंग सजाबो रे
आगे देवारी मया के दीया जलाबो रे
बैरी भाव छोड़ के जम्मो बनव मितान
जइसे माटी के रखवारी करथे किसान
बो बोन जइसे बीजा ओइसने पाबो रे
आगे देवारी मया के दीया जलाबो रे
मने मन मुस्कुराये खेत म धान के बाली
भुइयां करे सिंगार, लुगरा पहिरे हरियर लाली
गांव के जम्मो देवी-देवता ल नेवता दे आबो रे
आगे देवारी मया के दीया जलाबो रे
असीस दिही लक्ष्मीदाई होही उपकार
लइका सियान सब ल मिलही मया दुलार
बांट के खुशी जग म अपन खुशी पाबो रे
आगे देवारी मया के दीया जलाबो रे

जितेन्द्र कुमार साहू ‘सुकुमार’
चौबेबांधा राजिम