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नाटक

मया के मुंदरी

दिरिस्य:- 1
ठान:- दसरथ के महल
दसरथ:- बसीगुरू मोला देखके तुंहला कुछु सवनसे नीए।
बसीगुरू:- काय कहत हस तेला नी समझत हावौं राजा।
दसरथ:- मैंहर बुढ़वा होत जात हावौं, आभी ले मोर लइका नी होइस हावय, मोर राजगद्दी ला कोन संभालही।
बसीगुरू:- एला मैंहर बड़ दिन ले सोचत रेहें, सांता रिहिस तेला घलोक सिरिंगी करा बिहाव कर देवा, कहूं ओहर रइथिस ता राज ला कर लेथिस।
दसरथ:- मैंहर मोर राज ला नोनी ला दिंहा, मोला बाबू चाही बसीगुरू! चाहे कइसनो करके मिले, बाबूमन राजगद्दी संभालथे ता मजा आथे बसीगुरू महाराज।
बसीगुरू:- हां सुरता आइस ओइ सिरिंगी रिसी हर बेटा पाय के जग करथे, ओला कुछु करके बुलावा अउ जग ला करा।
दसरथ:- घर मा लइका अउ गांव भर मा गोहार, चली सिहावा बउ ओला बला के लानी। सुमंत ला किही रथ ला तियार करे हामन ला आज सिहावा जाय बर हावय। बसीगुरू तेकरे सेती तुंहला राजगुरू बनाय हावौं, मोर सवनसे ला कहे बर लागिस, ओला तुरत खतम कर देवा।
बसीगुरू:- एमा मोर का बड़ई महराजा, हामन के आदत हावय, जेकर खाबो ओकर गाबो।
दसरथ:- मोर मन मा भरम लागत हावय, जवानी मा जे भोग करे हावौं ओला मिटाय सकही कि नीही।
बसीगुरू:- तूं काबर सवनसे करत हावा महाराजा, ओहर डागडर हावे , बिग्यानिक हावे, तुंहरेच बीज ले मतलब नीए, ओहर एक ले एक देवता के बीज मनला संकेल के राखे हावे,जेला भी लइका के चिन्ता रइथे ओकर सो जाथे।
दसरथ:- ओहर अतका गियानी हावय, ता तो ओहर बिस्नू भगवान के बीज ला घलोक ले आनही, ओहर भगवान हावय हामर, ओकरे अंस हर हामर अंगना मा खेले।
बसीगुरू:- तुंहर कामना हर जरूर करके पूरा होही।

दिरिस्य:- 2
ठान:- रानीमन के कमरा
कैकी:- देख दीदी ये पुरूस जात कतका पाखंडी होथे, आपन के कमजोरी ला लुकाय बर कतका झन करा बिहाव करथे।
कौसली:- ठीक कहत हस बहिनी, हामर आदमी पहिली मोला लानिन,ता कहीन रानी तैंहर मोर हिरदे मा बसगे, आप इ हिरदे मा कोन्हों दूसर नी समाय।
सुमीता:- तुमन दूनों के रहते रहत एहर मोला ले आनिन, एमन तिरियाजात ला आप भोग के साधन भर समझथे, ओकर ले जादा कुछु नी समझें।
कैकी:- तैंहर ठीक कहत हस सुमीता बहिन, हामनला हामर मइनसे हर रानी नी बनाइस हावय, ओहर हामनला दासी बनाय बर लाने हावय।
कौसली:- ऐकरे सेती आपन बेलवापन ला मेटाय खातिर बेटा पाय बर जग करिहां कहत हावय।
सुमिता:- देख दीदी पुरूस कतका होसियार होथे, आपन ला लुकाय बर का का करत हावय।
कैकी:- बेटा जग मा दूसर के बीज ला हामन के कोख मा डालही अउ आपन ला पुरूस साबित करिही।
कौसली:- हामन दासी मन इंकार घलो करे नी सकन बहिनी।
सुमिता:-तुमन जइसने करिहा वइसने करिहा काबर कि दीदी मैंहर तुमन ले छोटे हावौं।
कैकी:- एमा हामर का मन हावय , एला थोरे पूछत हावें।
कौसली:- कैकी तोला दाई बने के सौक नी लागत हावय।
कैकी:- तिरिया के जात होके तैंहर मोला कइसे नी समझत हवस दीदी, इ संसार मा कोन तिरिया होही तेहर दाई बनना नी चाही।
सुमिता:- तिरिया के कोख ले सबो संसार मन के मन जनमत हावैं।
कैकी:- तैंहर ठीक कहत हस मोर बहिनी, हामन संसार के मनला जनमात भर हावन,जनमाय के पीछू एमन मोर लइका कइथे।
कौसली:- बेटा घलोक हर बाढ़ के दाई के उपर मा राज करथे।
सुमिता:- कतको गोठियाई मोर दीदीमन, हामनला तो राजा के केहे ला करे बर परही।
कौसली:- तैंहर ठीक कहत हस मोर बहिनी, हामर राजा के कहना ला नी मानबो ता फेर काकर कहना ला मानबो।
कैकी:- फेर हामन काल के बेटा जग के तियारी मा लग जाई।

दिरिस्य:- 3
सांता झरना मा नहात हावय, सिरिंगी संकर भगवान के पूजा करत रहय, ओहर सांता ला नहात देखथे ता ओकर मन हर ललचा जाथे, ओकर पांय झरना कोती जाय बर लागथे, तीर के रूखवा मा लुकाके सांता के रूप ला एकटक बइहा बरोबर देखत रहे, सांता गुनगुनात नहात हावय, अतका ला देखके सिरिंगी जागत जागत सपनाय बर लागथे, दूनों झन परकिरति के कोरा मा नाचे बर लागथें। सांता भींजे साढ़ी मा ओकर तीर मा आथे, ता सिरिंगी सकपका जाथे,ओतकी बेरा सांता छाती ला उघार के अंचरा ला फेंकथे छाती मा, सिरिंगी बेहोस हो जाथे, आपन साढ़ी के पानी ला ओकर माथा मा निचोथे, हाथ मा माथा ला थपथपाथे,टीका हर जमो कती बगर जाथे, कुछु जहान मा सिरिंगी निहारथे, सांता खिलखिलाके हांसथे, रूखवा मा बइठे जमो कोकड़ामन उढि़या जाथे।
सिरिंगी:- मया के परसाद कब पाहां देवी?
सांता:- तोर मया मा कमी हावय, पहिली आपन ला साध, जप तप बरत कर, तेकर पीछू पाबे तैंहर परसाद, परसाद सोझे नी मिलय जोगी।
सिरिंगी:- ता फेर मोला का करे बर लागही देवी।
सांता:- तोला संकर पारबती के पूजा करे बर लागही जोगी।
सिरिंगी:- ओकर पूजा तो रोजेच करथों देवी।
सांता:- पानी ढार दे हर, फूल पान चढ़ा दे हर, पूजा नी होइस जोगी,
ओमा सच्चा मन ला लगायबर लागही।
सिरिंगी:- मैंहर पढ़न्ता होके पूजा करे ला नी जानों, तैंहर येला कइसे जानय देवी।
सांता:- मैंहर नारी हावौं जोगी, परकिरति हावौं, परकिरति हामन ला जमो सिखो देथे, एक दिन संकर पारबती सैर मा इ जंगल मा आय रिहिन, मैंहर पारबती के पांव ला धर डारेंव, ता किहिन बेटी का मांगत हस मांग, ता मैंहर कहेंव का मांगिहा मैंहर दाई, मोर दिल ले तुंहार सुरता हर कभू नी जाय।
सिरिंगी:- सिरतो मोर सांता देवी।
सांता:- सिरतो मोर जोगी।
दूनों मिल जाथे ओइ बेरा मा दसरथ अउ बसीगुरू आथे ,ओकर बीज बाहिर मा गिरे बर होथे ओला आपन कमंडल मा झोंक लेथे।

दिरिस्य:- 4
सिरिंगी रिसी बेटा जग करथे ता , कौसली के राम, कैकी के भरत अउ सुमिता के लखन अउ सतरूघन जनमथे।

दिरिस्य:- 5
ठान:- सिव मंडिर
रावन:- मोर मयारू मुंदरी, मैंहर तोला मंडिर मा सिव भगवान के आघू मा मोर औरत बनात हावौं।
मुंदरी:- मैंहर तोला जानत हावौं बइहा, तैंहर मोला नीही मोर देहें ला मांगत हावस, ओला मैंहर बाम्हन कुंवारी बिना बिहा के तोला नी देवौं।
रावन:- तैंहर मोला मया करत हस की नीही, फेर मया के नाचा नाचत हस, मया तो दे के नांव होथे मुंदरी, मैंहर तोला मोर हिरदे ला दे हावौं, एकरे सेती मैंहर तोला मांगत हावौं, ता मैंहर का बुरा करत हावौं, का मैंहर तोला कुछु नी देवौं।
मुंदरी:- मैंहर इसने काहां कहत हावौं, मोर राजा, तोला नी देवौं, मैंहर कहत हावौं बिहा के पाछू दिहां।
रावन:- तैंहर तो इसने कहत हावस , मोला पिंयार करत हों कहथस अउ मोर नानकन कहना ला नी मानत हावस।
मुंदरी:- तहूं सोच मयारू तहूं हर बाम्हन कुमार हावस।
रावन:- मैंहर कहत तो हौं , तोर मांग मा सेन्दूर बंदत हौं, सेन्दूर बंदे के पाछू तैंहर मोर औरत होय की नीही।
मुंदरी:- मयारू तैंहर मोला आपन मया मा फंसो दारे।
रावन:- मैंहर मोर अराध्य देव संकर के किरिया हावै, जब तक मोर देहे मा जीव हावै, तैंहर मोरेच अस, येहर मंुदरी मुंदरी नी हावय मोर मया के मुंदरी हावय, येहर सेन्दूर नी हावय येहर मोर मया के चिन्हा हावय।
रावन मुंदरी के मांग ला सेन्दूर ले बंदथे।
मुंदरी:- इसने बिहा करके मोला डर लागत हावय, कहूंू तैंहर समाज के डर मा छांड़ तो नी देबे।
रावन:- मयारू मुंदरी मैंहर तोला कभू नी छांड़ों।
मुंदरी:- मोरो मन हर तो हर करा , हर समे मिले बर चाहत हावै।
रावन:- मुंदरी , तुमन तिरिया जात आपन मन के बात ला लुकाय रइथा, एकरे बर तुमन ला दंड भोगे बर पड़थे, देख तोरो मन हर मोर करा मिले बर होवत हावै अउ तैंहर समाज ला डरात हावस।
मुंदरी:- समाज ले जादा मयारू ला सोचे बर पड़थे, कहूं छांड़ दिस ता एती के रहन ना ओती के, एकरे सेती हामन ला सोचे बर पड़थे।
रावन:- तोला मोर उपर भरोसा नीए मुंदरी।
मुंदरी:- तोर मा हावय मयारू फेर आपन आप मा नीए, तोर कहरे मा मैंहर बही हो जात हावौं, तैंहर मोर पियास ला बढ़ा देत हावस।
रावन:- मोर तीर आ ना, मोर मा मिल के आपन पियास ला बुझा डार।
दूनों एक दूसर मा मिलके आपन आपन पियास ला बुझाथें।

दिरिस्य:- 6
ठान:- नदिया के तीर
मुंदरी:- रावन मोर राजा मोला आपन घर काबर नी ले जात हावस।
रावन:- मुंदरी मोर रानी पहिली मोला आपन पांय मा ठाढ़न दे फेर तोला आपन घर मा ले जाहां।
मुंदरी:- राजा रावन तैंहर आपन पांय मा ठाढ़ चाहे नी ठाढ़ फर तैंहर मोला आपन तरपांय मा राख।
रावन:- मोर ददा हर मोला आपन घर ले नी निकाल दिही।
मुंदरी:- इ चीज ला वो दिन केहें ता नी समझे, मैंहर तोर लइका के दाई बनत हावौं।
रावन:- काय कहत हस मुंदरी, कतका दिन होगे?
मुंदरी:- सातेक महिना होगे ना।
रावन:- आभी ले काय करत रेहे, पहिली केहे रइथे ता खंसाल दे रइथेंन।
मुंदरी:- तैंहर इसने कइसे कहत हावस मोर राजा! मैंहर दाई हावौं ऐसन नी होवन दों।
रावन:- ता तैंहर संसार के हांसी ला भोग, मैंहर तोर सो जबरदस्ती तो करे नी हावौं, तहूं तो बरोबर भोग करे हावस, बरोबर के बांटा हावय।
मुंदरी:- तुमन पुरूस जात, तिरिया मला फंसा के छांड़े बर घातथा, ये बातला मैंहर नी समझे रेहें, मैंहर समझत रेहें मोर राजा रावन येमन ले बड़बढि़या होही।
रावन:- मंैहर मुंदरी तोला पिंयार करत हावौं, आभी मोर हालत हर लइका पाले के नी हावय, चली एक काम करी, ये लइका ला खंसाल दी।
मुंदरी:- तैंहर तो वो दिन बड़ बात करत रेहे, सिव के आघू मा मोर मांग मा सेन्दूर बंदे रेहे, आज तैंहर डरात हावस, मैंहर इसने काम नी करों मोर राजा।
रावन:- तोला तोर लइका अउ मोर मा एक ठीक ला चुने बर परही।
मुंदरीः- तैंहर का कहत हस रावन , मोला कुछु समझ नी आत हावै।
रावन:- तैंहर नी समझत हावस ता फेर मोर उपर मा छांड़ दे, तोर डोंगा ला मैंहर पार लगाहां।
मुंदरी:- मोर डोंगा ला तो तोर हाथ मा दे हावौं, तैंहर मांझा मा बुड़ो चाहे तीर लेग।
रावन:- ता चल , तुरत अउ इ सवनसे ले मुक्ति पाई।
मुंदरी:- तोर केहे ला नी मानिहा मोर रावन , ता फेर काकर केहे ला मानिहा।
फेर दूनों एक दूसर मा मिल जाथे।

दिरिस्य:- 7
ठान:- कोला बारी
रावन:- मुंदरी तैंहर मोला पहिली नी बताय, आप एला तोला जन्माय बर लागही, एला तो कोन्हों खंसाले बर नी सकत हन कहत हावें।
मुंदरी:- मैंहर तो जनमाहां , तोला का पीरा लागत हावय मोर मयारू?
रावन:- ये पीरा का कम हावे कि तोर रावन ला लोगन मन आंखि उठाहीं।
मुंदरी:- तैंहर अतका सवनसे झन कर, मैंहर कोन्हों ला नी बतावों।
रावन:- फेर कोन्हों दिन जानही च जानही, मइनसे मन के मूंहू ला परई मा तोपे ले नी तोपाय।
मुंदरी:- रावन रावन तोर अतका कहई मा मोला पीरा सुरू होगे।
रावन:- तोर मयाय के बात हर तोला महुरा लागत हावे मुंदरी।
मुंदरी:- मोर राजा रावन मोला लागत हावय मैंहर नी बांचों, अबड़ पीरा करत हावे मोर राजा।
रावन:- तैंहर का कहत हावस मोला कुछु नी समझ आत हावय।
मुंदरी:- तुमन पुरूस जात ये पीरा ला का जानिहा, इ पीरा हर तो हामर तिरिया मन के पूंजी हावय।
रावन:- इ पीरा मा तुमन गरब करत हावा, परकिरति हर तुमन के बिपरीत हावय।
मुंदरी:- बरामान्ड पीरा हावय रावन, नी बांचों कहू लागत हावय।
रावन:- नी बांचों कथस आप फेर मुचमुचात हावस काबर?
मुंदरी:- कइसे नी मुचमुचाहा, मोर तिरिया जनम हर दाई बनके सारथक होइस हावय।
रावन:- तोला का ममता उपजत हावे मुंदरी, इ लइका ला तो कुछु करके टारे पर लागही।
मुंदरी:- देखा तो मोर मयारू कइसने फकफक गोरी हावय , तुंहरेच मुंहरन मा गिस हावय।
रावन:- मोला कमजोर झन बना मुंदरी, कइसनो रेहे मरजाद ला बचाय बर इ लइका ला छांड़े बर लागही।
मुंदरी:- वो दिन तो तुंहला मरजाद के फिकर नी रिहिस, बाबू रेहे ले राखबो केहे रइथा ,नोनी हावय ता टारी टारी कहत हावा।
रावन:- आभी कोन्हों रइथिस मरजाद बचाय बर ओला छांड़ेच रइथेन, आप मया ला येकर छांड़ अउ चली दूसर गांव के सिवाना मा छांड़ दी।
मुंदरी:-संकर पारबती के किरपा ले सिरिस्टि के संरचना होथे, संकर तुंहर भगवान अउ ओकर परसाद ला तूं फेक देबो कहत हावा।
रावन:- दूनों के मरजाद ला बचाय बर इसने करे बर परही।
दूनों लइका ला फेंक देथें

दिरिस्य:- 8
ठान:- बिदेह के महल
बिदेह:- देख रानी आज मैंहर नांगर जोतें, बड़ कीमती चीज ला पाय हावौं।
सुनयना:- तैंहर तो नांगर ला कम जोतथस अउ सपना अबड़ कीमती चीज पाय के सोचथस।
बिदेह:- देखबे ता खुसी ले डांहक परबे।
सुनयना:- बिना देहें के तैंहर मोला कभू खुसी नी दे सके, आज बिहा के चोबीस बच्छर पीछू का खुसी दे सकबे।
बिदेह:- देख देख रानी कतका सुग्घर लइका , बिजली कस चमकत हावय।
सुनयना:- काकरो ला धर के लाने तो नी अस, दुनिया ला बताय खतिर कि महूं हर पुरूस हावौं।
बिदेह:- तैंहर मोर मेर अतका दिन संग रह गे अउ आीाी ले मोला नी जान पाये, मैंहर काकरो कुछु ला नी चोराओं।
सुनयना:- जानत हावौं राजा ! मैंहर कइसे नी जानिहां, तूं तो मोर हिरदे ला आभी ले नी चोराय सके हावा।
बिदेह:- काय कहत हस रानी , मैंहर एला नी समझे सकें।
सुनयना:- तैंहर आज तक आपन तिरिया के तीर मा रहके ओकर मन के बात ला नी समझे सके, तिरियामन के घलोक आपन लइका के पियास रइथे, ओहर पर के लइका मा नी बुझाय, तैंहर डहर चलती कूड़ा करकट मा परे लइका ला ले आने अउ कहत हावस बड़ भारी चीज ला पा गये हावौं।
बिदेह:- तैंहर तो इ हाना ला जानबेच करत हस, नीही मोमा ले कनवा मोमा बढि़या।
सुनयना:- तोर औरत हावौं, तोर खात हावौं, मोर पेट हर तोर तीर मा भरत हावै, तोर कहना ला नी मानिहां ता फेर काकर कहना ला मानिहां।
बिदेह:- तैंहर तो आज इसने गोठियात हावस मोर रानी, मैंहर तोर कुछु नी हावौं, का मैंहर तोला मया नी करों।
सुनयना:- खाली मया मा सबो कुछु नी मिल जाय, लाना लइका ला, तिरिया जात होके तिरिया के अपमान करिहां, ता फेर मोर तितिया जनम लेवई हर धिक्कार हावय, ये नोनी हर मोर तीर मा अतका मया पाही, कि मया घलोक हर ओकर ले कम लागही।
बिदेह:- मोला तोर उपर मा पूरा बिस्वास हावय मोर रानी।

दिरिस्य:- 9
सीता के कका के बेटी मांडवी, उरमिला अउ सुरति होथे। येमन बाढ़थे ता सीता के स्वयंबर करथे , जेमा राम हर धनुस ला टोड़थे, सीता ला मया के मुंदरी पहिनाथे, सीता बरमाला पहिनाथे, राम सीता के मांग मा सेन्दूर बंदथे,
इसने परकार ले भरत मांडवी ला मया के मुंदरी पहिनाथे, लखन उरमिला ला मया के मुंदरी पहिनाथे, सतरूघन सुरति ला मया के मुंदरी पहिनाथे।
फेर चारों बहिन अउ चारों भाई बड़ मजा के रहे बर लागथे।

सीताराम पटेल