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कविता

मया के मुकुर

Sitaram Patelतोर जोबन देख सखी, मुँह मा टपके लार।
हिरदे मा हुदहुदी मारे, होवय ऑंखी चार।
कैमरा देखत देखत, जोबन छुआय हाथ।
हिरदे कुलकत हे मोर, पा सखी तोर साथ।।
दिखे सोनकलसा तोर, तरिया मॉंजत बरतन।
मैं सुध बुध भुलॉंय सखी, देख तोर नानतन।।
कोर दों तोर सखी मैं, कोवर कोंवर बाल।
चूमे अबड़ मन लागे, तोर गुलाबी गाल।।
कोरत कोरत देखथस,छंइया मोर दरपन।
एकटक तोला देखौं, हिरदे करों अरपन।।
तैंहर आए नोहाय, हिरदे कमल दिखाय।
देखके तोला गोरी, अंतस मोर ललचाय।।
तोर दिल आगी धरथे, मया मोला बताय।
मो तीर आके तैंहर, छाती अपन छुआय।।
रथिहा पहन सूते तैं, दिन मोला सपनाय।
मैंहर जावौं चाकरी, मोला कहॉं पाय।।
मोर तीर आके सखी, बाबू ला बतलाय।
मोर मुंहरन हावय, तोला मैं जतलाय।।
नाचा करके मोर सो, गये पिया के तीर।
का पाए सखी तैंहर, मोर हिरदे ला चीर।।
अतकी तैंहर डराए, काबर आए डगर।
मया के भट्ठी तैंहर, सोझेज जाबे जर।।
तैंहर बलाए मोला , मया के कसम देत।
मैंहर आएँ सखी घर, गौकी राखे सेत।।
तैंहर मोला बलाबे, आहॉं साही कुकुर।
नी आहां फूट जाही, हमर मया के मुकुर।।
मिल ली हामन आभी, र जाबो हाथ मलत।
कोन्हों तोला ले जाहीं, बाजा धड़ धड़ करत।।
अपन मन माफिक पाके, भुलाय सफ्फा तैंहर।
मया हर भगवान होथे, कइसे भुलों मैंहर।।
मया के मैदान हामन, खेलन बॉलीबाल।
एक दूसर लुटन बाल, मजा दिल बुरा हाल।।
मोला देख मुचमुचात, हिरदे मोर फूलय।
अंचरा ला गिरास सखी, मैं अपन ला भूलय।।
अंधियारी तिभोल खेल, डारों मैं पोटार।
समारत तोर सरीर ल, हिरदे गयेंव हार।।
देख तोर रोठा सतन, डुबे ओमा मो मन।
आकुल बियाकुल होथों, चैन नी जमो पहन।।
हिरदे आगि सुलगत हे, चुरों खाऍं पिंयार।
धुँगिया उढ़े अगास मा, काजर बने संसार।।

सीताराम पटेल