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मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी

मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी
चम्मच ह मजा करे झारा दुखियारी.

गहूं बर मुसुवा हे शक्कर बर चांटा
परलोखिया झड़कत हे घी के पराटा
खरतरिहा झांके रे पर के दुवारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी.

बरा बोबरा ला घर लीस बहिरासू
चीला लसकुसही बोहावत हे आंसू
कुसली बिड़िया चले ठाकुर जोहारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी.

गुलगुलहा भजिया अब तो नंदागे
जरहा अंगाकर उड़रिया भगागे
पेट पिरही कराही सूते ओसारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी.

फरा फरागे चउसेला हे मुरही
मुठिया मोटियारी हाबे एक सुरही
करछुल डूवा नीत मारे लबारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी

गुरहा गुरवंता ह चाहा म फंसगे
खाजा कचौड़ी हवेली म धंसगे
तसमई बपुरी सूते हावय छेवारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारीत्र

अइरसा देहरौरी के माते हावय झगरा
लडुवा पपची बूड़े मंहगाई के दहरा
‘विकल’ ठेठरी अउ खुरमी के पटे नहीं तारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी.

छत्तीसगढ़ राज मिलीस गरीबहा का पाईस
डोकरी ह गईस अउ छोकरी हा आईस
भूख म गरीब मरे अमिरहा के देवारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी.

हेमनाथ वर्मा ‘विकल’

One reply on “मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी”

वाह वाह

छत्तीसगढ़ राज मिलीस गरीबहा का पाईस
डोकरी ह गईस अउ छोकरी हा आईस
भूख म गरीब मरे अमिरहा के देवारी.
मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी.

क्या बात है हेमनाथ वर्मा ‘विकल’ जी

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