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सुरता

महान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी

परवीरचंदर भंजदेव के महतारी परफुल्ल कुमारी देवी के जनम 1910 म होए रहिस। परफुल्ल कुमारी बस्तर के महाराज रूद्र प्रतापदेव के अकलौती (अकेला) संतान रहिन, एकर सेती पिता के इंतकाल होए के बाद 11 बछर के उमर म महारानी बन गइन।
परफुल्ल कुमारी के बिहाव मयूर गंज के राजा के बेटा युवराज परफुल्ल चंदर भंजदेव के संग 25 फरवरी 1927 मं हाए रहिस। परफुल्ल चदर के दू बेटा होइस- परवीर चंदर अउ विजय चंद। दू झन बेटी राजकुमारी कमलादेवी अउ गीतादेवी होइस।
बड़े बेटा परवीर चंदर के जनम 13 जून 1929 के दारजलिंग (पं. बंगाल) म होए रहिस। महारानी परफुल्ल कुमारी के इंतकाल होए के बाद परवीर चंदर के केवल 7 बछर के उमर म 24 अपरेल 1935 म बस्तर के महाराजा बन गइन। इंहे ले उन्कर जिनगी म संघर्ष के कड़ी सुरू हो गइस।
छोटे उमर के महाराज परवीर चंदर के पालन-पोसन, सिक्छा अउ राज के देखभाल बर अंगरेज सरकार ह एक अंगरेज से.नि. अधिकारी अउ ओकर सुवारी ल नियुक्त करे रहिस, लइका परवीर ल इंकर से परेम नइ मिलत रहिस, एक विरोध म महाराज परफुल्लचंदर जी रायपाल सो सिकायत ककरिन, लेकिन अंगरेज सरकार नइ सुनिस अउ बस्तर ल हथियाए के उदिम करे लगिस।
राजकुमार परवीर चंदर कभो राजकुमार कालेज रायपुर, त कभो डेली कालेज इंदौर त कभो मिलिटरी अकादमी देहरादून त कभो पब्लिक स्कूल कलकत्ता मं पढ़े बर भेजे जात रहिन, अउ महतारी के बेमारी के मारे उन्कर पढ़ाई म बड बाधा होइस, तभो ले इंगलैण्ड म रहिके अंगरेजी भाखा के अच्छा सीख लिहिन। उमन टेनिस अउ किरकेट के सउकीन रहिन। उमन धारमिक सुभाव के रहिन।
बयस्क परवीर चंदर ल 1947 म उमन ल बस्तर के सत्ता सउंपे गइस, अब जब देस आजाद होइस, त 1948 मं बस्तर-राज ल भारत के गनतंत्र म सामिल कर दिए गइस, जेकर भंजदेव जी विरोध नइ करिन। लेकिन कुछ नीति के नॉव लेके राज सरकार संग उन्कर टकराव होवत रहिस। सन् 1953 मं रास्ट्रपति जी बस्तर आइन, त उमन उन्कर सो मिले नइ गइन, उमन सभिमानी मनखे रहिन।
20 जून 1953 म राज सरकार ए घोसना कर दिहिन के महाराजा के चित्त सांत नइ रहय, एकर सेती संपत्ति के देख-रेख बर कोर्ट ऑफ वाइस ल अधिकिरित कर दिहिन। एकर से महाराजा अउ सरकार म टकराहट होवत रहिस। 1957 के चुनाव म कांग्रेस ह उनला बस्तर कांगरेस के अध्यक्छ बना दिहिन जेन राजा ल पगला कहंय ओकर सो समझवता करे गइस, एकर से राजा के उम्मीदवार मन जीत गइन, लेकिन ए समझवता जादा दिन नइ चलिस।
ओ समय बस्तर के कलेक्टर देवेन्द्रनाथ ह सरकार ल चिट्ठी लिखे रहिस के परवीरचंदर भंजदेव ल घमंड हो गए हे, अउ विदरोह के तइयारी करथे। एक विवाद म भंजदेव जी विधानसभा ले इस्तीफा दे दिहिन, अउ आदिवासी सेवादल के इस्थापना कर लिहिन, 31 अक्टूबर 1960 मं जगदलपुर म बिसाल सम्मेलन होइस, अउ 6 नवम्बर के कोण्डागांव म अइसनहे सम्मेलन होइस, विवाद बाढ़त गइस। एकर चलते 12 फरवरी 1961 के भारत सरकार ह भंजदेव जी के मान्यता ल खतम कर दिहिस। बाद म महाराजा ल गिरफ्तार कर लिए गइस। एकर से पूरा बस्तर म गुस्सा के आगी लग गइस। 22 अपरेल 1961 के महाराज भंजदेव रिहा कर दिए गइस। जुलाई 1961 मं इंकर बिहाव पाटन के राजकुमारी से होए रहिस। 1962 के चुनाव मं भंजदेव जी हार गइन। धीरे-धीरे सरकार से उन्कर दूरी बाढ़त गइस। जेकर चलते 25 मार्च 1966 के उनला, उंहे के आदमी गोली मार दिहिन। लेकिन महाराजा भंजदेव सबे आदिबासी मन के दिलो दिमाग म बिराजे हावंय, जेला कोनो नइ मिटा सकंय।
महाराज भंजदेव के समय आदिवासी छेत्र म नक्सली पांव नइ जमा पाए रहिन, लेकिन उन्कर सरगबासी होए के बाद नक्सली समस्या अइसे बाढ़े हे के सम्हाले नइ सम्हलत हे। आज बस्तर मं खेती-किसानी बिलकुल कम हे। उहां अउद्योगिकी के चमक बाढे हावय, नक्सली मन के गोली के आवाज गूंजथे। आदिवासी मन आसाबादी होथें। साधन के कमी होए के बाद भी उमन जीते के माद्दा रखथें।

श्याम नारायण साहू ‘स्याम’
चटर्जी गली नया सरकंडा बिलासपुर