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कविता

माटी मुड मिंजनी

हमर गाव जुनवानी
के माटी मुडमिंजनी
चिटिक सुन लव संगी
डहर चलती एकर कहनी
आधातेच प्रसिद्ध पथरा- माटी हवे
शोर अडताफ म भारी उडथे
अचरुज हे पथरा मन के कथा
गांव म जे मुह ते सुनले गजब गाथा
अभी तो सुनव माटी के महिमा
पांच किसिम के हवे करिश्मा
कन्हार -दोमट हवे मटासी
लाल मुरम अउ पिवरी छुही
ऊपजे धान कत्कोन ओन्हारी
जाके देखव मंदिर अस खरही
चुंगडी-बोरा भरके गौतरिहा मन
अपन-अपन घर ले जाथे
माटीच लेगे बर जेठ बैसाख म
घरोघर सगा मन आथे
दही म रातभर भिंजो के
बिहने बदन अउ मुड म लगा
गरमी उतर जाही संगी
एक बार तो अजमा
आठो अंग संग चुन्दी चमकही
साबुन शेम्पू ह येकर संग का सकही
लीम तेल डार त जुआ लिख नसाही
धाव फोरा फुंसी सदा दिन बर नंदाही
हर्रा डार सरो के लिपथे
सुध्धर अंगना परछी भिथिया
पिडुरी, दुधही छुही संग
सजथे सुध्धर घर -कुरिया
मुड मिंजनी माटी के सेती
हमरे भर्री परे हे परती
दादी संतवन्तीन कहे चाहे बनाहु धनहा
तभो ले राखे रहु एला धरखनहा
सिरतोन हवन हमन भागमानी
सुध्धर नानकन गाव पथरा जुनवानी
तेकर पावन चंदन अस
हवे माटी मुड मिंजनी
दार भात चुरगे अउ
पुरगे एकर कहनी

डा अनिल भतपहरी
जुनवानी (तेलासी – भंडारपुरी )