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गीत

मिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे

बस मे कब ले ठाढे हँव बइठे बर जघा दे दे
ले दे खुसर पाये हँव निकले बर जघा दे दे
भीड मे चपकाये हँव सांस भर हवा दे दे
मैं हर सांस लेवत हँव तैं कतक धकेलत हस
भीड मे चपकाये हँव सांस भर हवा दे दे
छेरी पठरु कर डारे मनखे ला अस भर डारे
लइका भले तै झन दे सीट ला सगा दे दे
समधी के सुआ
मिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे
टुरा के भरोसा का, दउड के दवा दे दे
रामेश्वर वैष्णव
(हिन्दी अनुवाद आरम्भ मे पढे)