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कविता

मोर कुकरा कलगी वाला हे ( गीत )

दुनिया में सबले निराला हे ….
मोर कुकरा कलगी वाला हे ….
चार बजे उठ जावे ओहा
सरी गाव ला सोरियावे ओहा
माता देवाला के लीम ला चढ़ के
कूकरुसकू नरियावे ओहा
गुरतुर ओखर बोली लागे
गजब चटपटा मसाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ….
मोर कुकरा रेंगे मस्ती मा
यही चल ओखर अंदाजा हे
बस्ती के गली गली किंजरे
सब कुकरी मन के राजा हे
दिल फेक बड़े दिलवाला हे
मतवाला हे मधुशाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ….
ओखर, काखी मा चितरी पाखी हे
पंजा मा धारी नाखी हे
पियुरी चोच हे , ठोनके बर
अऊ जुगुर जुगुर दोनों आखी हे
ओखर, झबरी पूछी मा हाला हे
नड्डा मा झुलत बाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ….
दुनिया में सबले निराला हे …

श्रीमती सपना निगम,
दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )

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