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कविता

मोर गंवई गांव

बर, पीपर अउ लीम के
बढिया होतिस छांव
बबा, दाई मन कहिनी सुनातिन
सुनतिस जम्मो गांव।
हरेली, तीजा, पोरा, देवारी
जेठौनी, होरी बने मनातेन
भोजली, सुवा, करमा, ददरिया
एक्के सुर म गातेन।
सपना होवत जात हे संगी
का मैं तोला बतावं
जुर मिल के गोठियातिन सुग्घर
अईसन गांव कहां ले लांव
बर, पीपर अउ लीम के…।
खेत-खार अउ रुख रई मं
चिरई, चुनगुनातिन
नदिया, नरवा धार बोहाके
सातो सुर म गातिन।
अइसन सुघ्घर गांव ल देख के
देवता धामी के
रूक जातिस बढ़त पांव
सरग जइसे रहितिस सुग्घर
मोर गंवई गांव
बर, पीपर अउ लीम के …।
एक हाथ मं नांगर होतिस
दूसर म पोथी, पिचकारी
नोनी-बाबू संग पढ़तिन
जम्मे गियान अटारी।
अहिल्या, लक्ष्मी, दुर्गावती
फेर जनम लेतिन गांव-गांव
कोयली कस कूकतिस हिरदे
कभू झन होतिस कांव-कांव
बर, पीपर अउ लीम के …।
झगरा नई होतिस भाई-भाई मं
जुर मिल के जिनगी चलातिन
सीता-राम कस जोड़ी होतिस
लव कुस कस बेटा पातिन।
हर जिनगी बनतिस तिहार बार
सबे हंसतिन, नाचतिन, गातिन
उजरत गांव बच जातिस संगी
सुख के मड़वा होतिस ठांव-ठांव
देख-देख डोकरी दाई के घलो
उठ जातिस नाचे बर पांव
बर, पीपर अउ लीम के …।
पीक लहलहातिस खेत मं
फर लगे ले रुख लहस जातिस
नागर, गाड़ी चलावत किसान
आल्हा, दोहा गातिस।
गाय-गरू ल देख के
कन्हइया दउंड़त आतिस
बांस के बंसुरी बजाके
एक बार फेर रास रचातिस।
छत्तीसगढ़ होतिस वृन्दावन
दूध-दही बोहातिस गांव-गांव
कदंब के छईंहां म नाचतिस कन्हईया
हर गांव म होतिस नंद गांव।
एके ठन सपना देखत हंव
कंस बिना होतिस हर गांव
बर, पीपर अउ लीम के …।

विश्वम्भर प्रसाद चन्द्रा
रावणभाठा नगरीधमतरी