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गोठ बात

मोर छइंहा भुइहां छत्तीसगढ़ी रंगीन फिलिम के बोहनी

मैं सोचथंव के उनला अपन फिलिम म खराब फूहड़ दिरिस्य अउ गीत के निर्माण करके छत्तीसगढ़िया मन के आदत बिगाड़े के प्रयास करना एक सवाल खड़ा करथे। बने फिलिम अउ गीत हमेशा सफल होय हे। ये बात ल सुरता राखना एक फिलिमकार बर बड़ जरूरी हे।
कोनो भी काम ल शुरुआत करे बर कोनो न कोनो
ल अपन सोच के चिरई ल अगास म उड़े बर अजाद करे ला लागथे अउ वोहा जिहां तक ले उड़थे उहां तक के सपना ल सिरजाये खातिर रात-दिन ल एक माने ल लागथे। फिलिम निर्माण के एक ठिक कठिन प्रक्रिया होथे जउन म पहिली कहिनी के स्थान आथे। तेखर बाद धीरे-धीरे पटकथा अउ संवाद कोती फिलिमकार हा आघू बाढ़थे। गीत, संगीत तो फिलिम के हिरदय आय जेखर ले फिलिम ल जबर चिन्हारी मिलथे। फिलिम के कलाकार मन अपन जम्मो करे मिहनत ल सारथक करथे। कोनो एक माहल के एक ठीक ईंटा भी ह टूट गे या भसक गे त समझ लन कि माहल घलो हा निपटगे। ये जम्मो जीनिस के एक-एक कड़ी ल बड़ सहेज के सफल होइन सतीश जैन जी हा। जउनमन बालीवुड के लेखक ले छालीवुड के निर्माता निर्देशक तक के सफर तय करीन अउ बनाइन अपन स्वतंत्र पहिचान, छत्तीसगढ़ के अउ बाहिर के घलो। कलाकार मन ला भुइयां ले उठाके सफलता के छइहां देवइया ये फिलिम ह सिरतोन म ‘छइहां भुइयां’ के नाव ल अमर कर दीस। छइहां भुइहां फिलिम हा दरसक ला मनोरंजन ले उद्देश्य तक पहुंचाये म गजबे सफल साबित होइस अउ छत्तीसगढ़ के फिलिम उद्योग म सफलता के सोनहा इतिहास रच डारीस। ये बीच फिलिम म निर्माता निर्देशक के आर्थिक समस्या के बीच सफल निर्देशन हा उभरके फिलिम म दिखिस। बूंद-बूंद म घड़ा भरे के कहावत ह इहीच फिलिम म दिखिस सतीश जी सागर ले मोती चुने के काम करके अनुज शर्मा अउ मनमोहन ठाकुर जइसन कलाकार मन के प्रतिभा ल चिन्हिस। अउ ल काम देय के छत्तीसगढ़ म पहिचान बनाये के माध्यम बनिस। साहित्यकार, कवि अउ छत्तीसगढ़ के दुलरवा गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के गीत आज भी रचना जगत म अनुकरणीय अउ आदरणीय हे। तकनीकी रूप म कहे जाय त ये फिलिम हा थोरिक कम हे काबर कि जब सीडी म ये सनीमा ल लगाके देखथन त थोरिक धूंधलाहा दिखथे। एक ऐतिहासिक अउ मार्मिक फिलिम के बनइया जब अतक सफल प्रस्तुति देय के हिम्मत रखथे अउ ओमा सफलता घलो पाथे। त मैं सोचथंव के उनला अपन फिलिम म खराब फूहड़ दिरिस्य अउ गीत के निर्माण करके छत्तीसगढ़िया मन के आदत बिगाड़े के परयास करना एक सवाल खड़ा करथें। बने फिलिम अउ गीत हमेशा सफल होय हे। ये बात ल सुरता राखना एक फिलिमकार बर बड़ जरूरी हे। लेकिन यहू बात कभू भूले नइ जाय कि छइहां भुइयां ले ही रंगीन फिलम के शुरूआत छत्तीसगढ़ म होय हे अउ इंखरे ले फिलिम निर्माण ह बोहनी होय हे।
जय छत्तीसगढ़
चम्पेश्वर गोस्वामी
आरंभ मा पढव : – सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्‍लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’