Categories
कविता

मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!

मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!
ओकर कोठ ल सुन के में असकटा जथंव,
तेकरे सेती फेसबुक म रही रही के हमा जथंव!
उहीच उही गोठ ल घेरी बेरी गोठियाथे,
अउ नै सुनव तहले अपने अपन रिसाथे !
ए जी-ए जी कहिके मोला रोज सुनाथे,
कहू कही कहिथव त मइके डहर दताथे !
मज़बूरी में महू ह मुड़ी ल नवाथव ,
हवच हव कहिके बाई ल मनाथव !
कही कुछू लेहु कहिके रोज बजार म जाथे ,
अपन बर कुछु लानै नहीं उल्टा मुहिल सजाथे !
काम बुता में जाथव तबले आँखी देखाथे,
चुरे पके में आथस कहिके मोला खिसियाथे !
बड़े फजर ले ओकर बिबित भारती चलथे,
जेनमा आनी बानी के समाचार निकलथे !
ममा घर के नेवता आहे कब जाबो बताना,
गजब दिन होगे, फुफू ल फोन लगाना !
भतीजा बर कुरता लेहव तेला कब अमराबे?
राखी घलो ले दे हव जल्दी भैया घर जाबे !
काम बुता छबड़ाये होही त भैया ल झन बलाबे,
दाई ल कहि देबे मोला तीजा म तही अमराबे !
लहुटती मोर बहिनी घर तको हमावत आबे ,
तीजा में उहू ल जी दू दिन के अकता बलाबे !
इही चँदा के फंदा म मय बंदा हा परगेंव,
अंजोरी अंधियारी म कतको कविता गढ़ देंव !
फेर वोकर गोठ सुने बिना दिन नई पहाय ,
अपन बाई अपने होथे दुसर नई सहाय !
Bhola Ram Sahu
भोला राम साहू

2 replies on “मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!”

बड़ सुघ्घर कबिता हे भाई। बाई मन अइसनेच होथे।
सुघ्घर कबिता बर कोरि कोरि बधई।

SABSE PAHILE BHOLA RAM BHAIYA LA GADA GADA BADHAI / AAP MAN KE KAVITA LA SUN KE MAN HA GAD GAD HOGE ,

Comments are closed.