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कविता

मोर हतिया झन करवाबे दाई

मोर हतिया झन करवाबे दाई तोर बेटी अंव।
दाई तोर बेटी अंव बाबू तोर बेटी अमल।
मोला पेट में झन कटवाबे, दाई तोर बेटी अंव।
बाबू तोर बेटी अंव.
तोर गरभ ले जनम लेहूं दाई, खेलहूं बाबू के कोरा।
अंगना में तोर किलकारी देहूं, खेलहूं चुकी पोरा।
भारत भुईयां में जनम धरे के मन मा मोरो साध.
दाई तोर बेटी अंव बाबू तोर बेटी अंव।
मोर हतिया झन करवाबे…
आज के बेटी पढ़ लिख दाई, जज इंजीनियर बनगे।
रेल गाड़ी अऊ जिहाज हा दाई, बेटी मन ले चलगे।
फउजी बनके सीमा में जाहूं, दुश्मन ला मार गिराहूं।
दाई तोर बेटी अंव बाबू तोर बेटी अंव।
मोर हतिया…
नइ आहूं तोर अंगना में दाई, मेहँदी कोन रचाही।
होरी देवारी दसेरा में दाई, चउक कोन पुराही।
भईया के हाथ में राखी बांधहूं तीजा पोरा मनाहूं।
दाई तोर बेटी अंव बाबू तोर बेटी अंव।
मोर हतिया….
बेटा मनहा होथे छाई, एके कुल के चलइया।
मंय बेटी मइके ससुरे, दू कुल के लाज बचइया।
सात भांवर अऊ सात बचन ला, जिनगी भर निभाहूं ।
दाई तोर बेटी अंव बाबू तोर बेटी अंव।
मोर हतिया …
जनम देवइया बिधाता ला दाई, पूछहूं एक ठी बात।
बेटी मन ऊपर अतका जुलुम, काबर करथे दाई बाप।
बेटी मन तो लछमी होथे दुनिया ला मंयहा बताहूं।
दाई तोर बेटी अंव, बाबू तोर बेटी अंव।
मोर हतिया झन करवाबे दाईतोर बेटी अंव, बाबू तोर बेटी अंव
दाई तोर बेटी अंव बाबू तोर बेटी अंव।

केंवरा यदु मीरा