Categories
कविता

येदे गरमी के दिन आगे

येदे गरमी के दिन आगे
चारो कुती घाम हा बाड़ गे
घाम के झाँझ मा तन हा लेसागे
तन ले पसीना पानी कस चुचवागे
रूख-राई के छैईहा सिरागे
येदे गरमी के दिन आगे।
पानी के बिना काम नी चले
चारो कुती पानी के तगई छागे
तरिया-डबरी, नरवा-डोगरा जम्मो सुखागे
गरमी के घाम ला देख के जी थरागे
येदे गरमी के दिन आगे।
चिरई-चिरबुन, जानवरमन पानी बर तरसे
चिराई-चिरबुन, जानवरमन छैइहा खोजे
पानी के तिर मा जाके बसेरा डाले
चिरई-चिरबुन, जानवरमन छैईहा मा आके बैठे
माझनिया के घाम ला कोनो नई सहे
येदे गरमी के दिन आगे।
ठण्डा -ठण्डा जिनीस बड़ सुहाथे
गाँव-गाँव बरफ बेचे ल आथे
बोरे-बासी आजकल अड़बड़ मिठाथे
गोदली के माला नवटपा ले बचाये
चारो कुती के भुईया लकलक ले तीपे
येदे गरमी के दिन आगे।
Hemlal photo

 

 

 

हेम लाल साहू

2 replies on “येदे गरमी के दिन आगे”

सही बतायेस साहू जी गरमी के मारे सब हाल बेहाल होगे हे|
पसीना ह चुचवावत हे

आपमन ल भी बहुत बहुत धन्यवाद गुरुजी जोन हमर रचना ल पसंद करेव । राम राम जय जोहर पाहुचत हे स्वीकार करहु । महेंद्र देवागन जी

Comments are closed.