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कविता

रोवत हावय महतारी

सहीद के अपमान के एक ठिन अउ घटना …अंतस बड़ हिलोर मारत हे …करेजा म बड़ पीरा…लहू उबाल मारत हे…कोनो के बेटो, कोनो के भाई, कोनो के जोही, कोनो के मया…सहीद होगे….सहीद होगे मोर संगवारी…मोर संगवारी ल समरपित ये गीत….
रोवत हावय महतारी…

रोवत हावय महतारी
रोवत अंगना-दुवारी हे
तोर बिन अब का हे जीना
तोर बिन अब का हे जीना
सुन्ना मोर फूलवारी हे
सुन्ना मोर फूलवारी हे
रोवत हावय महतारी……

बहिनी के राखी रोवय
रोवय मया के पाखी
जोही बिन जिना कइसे
जइसे दिया बिन बाती
जइसे दिया बिन बाती
जइसे दिया बिन बाती
बिन तोरे ये जिनगी होगे बड़ भारी
रोवत हावय महतारी
रोवत हावय महतारी

रोवत अंगना दुवारी हे
सुन्ना मोर फूलवारी हे

मउर बंधाये के सपना
सपना सब चुर होगे
कइथे तोला अमर रहय सब
मोर अमर दूर होगे
मोर अमर दूर होगे
मोर अमर दूर होगे
मंगनी के बीच म तो अरथी के होगे तइयारी
रोवत हावय महतारी
रोवत हावय महतारी

रोवत अंगना दुवारी हे
सुन्ना मोर फूलवारी हे

सुरता तोर बड़ आही रे
आही सुरता तोर हंसी-ठिठोली
भूलाय कभू नइ भूलाय रे
तोर मया-पिरीत के बोली
तोर मया-पिरीत के बोली
तोर मया-पिरीत के बोली
छाती म खाके गोली सहीद होगे मोर संगवारी
रोवत हावय महतारी
रोवत हावय महतारी

रोवत अंगना दुवारी रे
सुन्ना मोर फूलवारी रे

पं. वैभव “बेमेतरिहा”

One reply on “रोवत हावय महतारी”

बहुत ही बड़िया हे वीर शहीद के उपर लिखे रचना । बहुत बहुत धन्यवाद

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