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गोठ बात

लइका मन के देवता गनेस : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! भगवान गनेस हर छोटे-छोटे लइका मन के घलाव देवता हरै रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। जइसे गनेस पाख आथे, हमन देखथन के छोटे-छोटे लइकन मन घलाव टोली बनाके चौक-चौराहा में नई तो अपन घर में भगवान गनेस ला बइठार के पूजा अराधना शुरू कर देथे। हमन यहू जानथन के भगवान गनेस हर माता पारवती अउ भगवान भोलेनाथ के दुलरवा बेटा हवय जेखर सब देवी-देवता ले पहली पूजा करे जाथे। जब तक भगवान गनेस के पूजा नई हो जावय तब तक कोनो दूसर देवी-देवता मन पूजा अराधना ला स्वीकार नई करय। ए बात ला अगर सोचे जाय तब सबले बड़े देवता तो भगवान गनेस हर होगे। फेर हमन जब भी ओखर नाव लेथन तब हमर धियान में छोटे से गनेस जी हर आथे जेला लइकन मन खेलवारी कस बइठार के सुग्घर तन अउ मन से पूजा करथे। काबर कि गनेस भगवान के बारे में यहू कहे जाथे के भगवान गनेस हर सबके मन के बात ला सुनथे अउ सबके दुख, पीरा अउ बडे़ से बडे़ विघ्न-बाधा ला हरथे, जल्दि नाराज नई होय अउ लइका सियान जेला सब मया करथे। संगवारी हो हमन यहू जानथन के भगवान गनेस हर बहुॅत बडे़-बडे़ काम करे हावय। अइसे कहे जाथे कि महाभारत के रचना महर्षि वेदव्यास हर करे हावय फेर ए कथा ला लिखना महर्षि के बस के बात नई रहिस हावय।




महर्षि हर भगवान गनेस से विनती करिस तब भगवान गनेस जी लिखे बर तैयार होगिन फेर काबर कि ए बुता ला बिना उठे, बिना थके दिन-रात लगातार करना रहिस हावय। जब कोनो हर लगातार काम करथे तब ओखर सरीर के ताप हर बाढ़बे करथे ए बात ला जानके महर्षि हर भगवान गनेस के सरीर मा माटी के लेप लगा दे रहिस हावय। भगवान गनेस हर बिना पानी पिये 10 दिन ले लगातार महाभारत के कथा ला लिखे हावय। जब पूरा महाभारत के कथा लिखा जाथे तब ए बुता ला करत-करत गनेस जी के सरीर के ताप हर अतका बाढ़ जाथे के माटी हर सुखा जाथे अउ गनेस जी के सरीर हा अकडे़ बर धर लेथे तब 11वां दिन महर्षि हर भगवान गनेस जी ला सुन्दर सरोवर में डुबो देथे। भादो के उजियारी पाख के चउथ के दिन लिखे के काम हर शुरू होय रहिस हावय तउन अनंत चतुर्दशी के दिन पूरा होय रहिस हावय। ए दस दिन ले महर्षि हर भगवान गनेस जी ला रिकिम-रिकिम के मेवा-मिठाई खाए बर देवय। वही समय ले ए तिथि मा माटी के भगवान गनेस जी बना के बइठारे के परंपरा के शुरूवात होय हावय। अउ हमन ए तिथि में भगवान ला रिकिम-रिकिम के मेवा-मिठाई भोग लगाथन। संगवारी हो हमन ला भगवान गनेस के यही सब गुन ला अपनाए के जरूरत हावय। अतका सहज अउ सरल होना, लइका मन ला घलाव सियान अतका महत्व देना, बिना थके परिश्रम करना, बोले के कम अउ सुने के बुता जादा करना ए जम्मों गुन हर भगवान गनेस जी ला पहली पूजा पाय के अधिकारी बनाए हावय। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।

रश्मि रामेश्वर गुप्ता
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