Categories
कविता

लाला जगदलपुरी के कबिता

जब ले तैं सपना से आये

मोला कुछु सुहावत नइये
संगी तैं ह अतेक सुहाये
पुन्नी चंदा ल देखेंव
तोरे मुह अस गोल गढन हे
अंधियारी म तारा देखेंव
माला के मोती अस तन हे
तोर सुगंध रातरानी हर
भेजत रहिथे संग पवन के
नींद भरे रहिथे आंखीं में
दुख बिसराथंव जनम मरन के ।
लाला जगदलपुरी

One reply on “लाला जगदलपुरी के कबिता”

Comments are closed.