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कविता

लीम चउरा के पथरा

लीम चउरा के पथरा बिकट चिक्कन
खड़भूसरा रहिस होगे कइसे बड़ चिक्कन
ओ तो जानत हवय सबके अन्तर मन।

पंच-पटइल बइठ नियाव करिस
सुन्ता सुम्मत के नवा रद्दा गढ़िस।

उधो-माधो के भाग ह खुलिस
सरकारी योजना म साहेब दूनों के नाव लिखिस।

मंगलू बुधियारिन के भांवर परिस
इही मेर दूनो झन के पिरित सिरजिस।
बिहने ले सांझ होथे गजब तमासा
भौंरा-बांटी, बिल्लस तास-तीरी पासा।
पुनु रतिहा दिसना दिसाथे
धरके कलरकइहा ल दूर फुरसूद सोथे।

अनगइहां मन आके इही मेर थिराथे
सगा सोदर के पता ठिकाना ल पाथे।

गांव भरके मनखे ल कोरा म बिठाथे
सब के करू कसा ल अंतस म पचाथे।

अनिल कुमार भतपहरी
श्री सुकाल सदन
कमल कालोनी
बलौदाबाजार

One reply on “लीम चउरा के पथरा”

bahut hi bhav pravana kavita hai aisi hi rachanao se chhatisgarhi sahitya samridha hoga rachana kar ko hardik bhadhai

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