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कविता

वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे

होत बिहनिया कुकरा नरियावय
रुख म बइठ चिरई-चिरगुन गावय
‘रामसत्ता’के मिसरी कान म घोरावय
घर-घर रेडियो रमायन सुनावय
मंदिर के घंटी मन ल लुभावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
नांगर धर किसान खेत जावय
गरुवा बरदी जावत मेछरावय
घर-घर अँगना चऊँक पुरावय
दीदी बोरींग म पारी लगावय
बाबू नहा धोके संख बजावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
चूल्हा तीर माई-पिल्ला सकलावय
दाई चहा संग अंगाकर बनावय
अंगरा म बबा बीड़ी सुलगावय
डबररोटी वाले पोप-पोप बजावय
परोसिन हउला धर कुआँ ल जावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
गंगाअमली म कोयली हर गावय
अंतस के जम्मो पीरा ल भगावय
डोकरी दाई दतुन बर चिल्लावय
नानकुन भाई ल उठेबर खिसियावय
‘जय गंगान’ ल महराज हर गावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
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सुनिल शर्मा “नील”
थान खमरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470

4 replies on “वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे”

बहुत बढ़िया कविता हे नील जी |
बने गुरतुर लागिस आपके बोली ह |
बधाई हो

आपमन ल कविता पसंद आइसे एखर बर धन्यवाद आदरणीय “माटी”” जी….जय जोहार

बिहनिया बिहनिया गाँव में का होथे ओकर बने चित्रण करे हव,बधाई हो

आपमन मोर कविता ल पसंद करेव एखर बार धन्यवाद विजेंदर वर्मा भाई….जय जोहार,जय छत्तीसगढ़

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