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कविता

वा बहनी उर्मिला कमाल कर देस

वा बहनी उर्मिला  कमाल कर देस
दारु के बिरोध कर कड़ा संदेस दे देस
नै करेस जिनगी के सौदा बिहाव करके
भारत के नारी मन म हिम्मत भर देस
वाह बहनी उर्मिला……………..
फेरा नै रेंग सकय तऊन का साथ देतीस
सुग्घर भविष्य के तोला का बिश्वास देतीस
नरक ले बद्तर जिनगी हो जतीस तोरो
कुरीति के गाल म बने चटकन हन देस
वा बहनी उर्मिला………………..
तोर देखे जम्मो बहनी  आवाज उठाहि
तोर बिरोध के सुर म अपन सुर मिलाही
जउन बरात म दारु ओखर बिरोध होही
नारी सशक्तिकरण के तैहा पहिचान बन गेस
वाह बहनी उर्मिला………………
सुनव रे दरूहा हो अब तो सुधर जाओ
बिहाव के संस्कार म झन पिके आव
अब दुनिया बदल गेहे ये बात ल समझव्
ये नियाव के समझैया संस्कार बन गेस
वाह बहनी उर्मिला………………
दारु ह आज तक काखर काम आहे
बरतन भाड़ा तको एखर सेती बेचाय हे
घर टोरे हे ,लईका मन के बचपन नंगाय हे
ये नशा के नशइया तै देबी बन गेस
वाह बहनी उर्मिला…………….

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सुनिल शर्मा “नील”
थान खमरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470

5 replies on “वा बहनी उर्मिला कमाल कर देस”

वा बहिनी उर्मिला आपके कविता ह बहुत सुंदर लागिस हे |आप तत्कालिन घटना के कविता बनायेव एकर बर आप ल बधाई हो | जय जोहार

महेंद्र देवांगन “”माटी””जी आपमन के माया अउ दुलार बर धन्यवाद…..जय जोहार,जय छत्तीसगढ़

आदरणीय हेमलाल भाई आपमन के मया बने राहय……जय जोहार…जय छत्तीसगढ़ महतारी

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