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कविता

शिक्षक दिवस 5 सितम्बर : सिक्छक हँव सरलग सिखथँव

सिक्छक हँव सरलग सिखथँव
घेरी बेरी सोंच समझ लिखथँव।।

गियान अंतस थरहा डारँव,
सिखोना ल जोरदरहा साजँव।
बेवहार बिचार बीजा सिचथँव।।१
सिक्छक हव सरलग सिखथँव..

करम कमल अँइलाय झन,
मन निरमल मइलाय झन।
मित मितान संगी बन मिलथँव।।२
सिक्छक हव सरलग सिखथँव…

कहाँ ले लानव मैं उदाहरन,
काखर बताँव कहिनी कथन।
लइका बर मैं असल दिखथँव।।३
सिक्छक हव सरलग सिखथंव…

कोंवर माटी म महिनत मोर,
केंवची काया ल बनाहू सजोर।
गुरतुर गोठ मा “अमित” रिझथँव।।४
सिक्छक हव सरलग सिखथँव…

नवा समे हे, नवा जमाना हे,
बाढ़त बिगियान ल बताना हे।
परसिक्छन बरसा म भिंजथँव।।५
सिक्छक हव सरलग सिखथँव…

सरल सीख सिरतोन सम्मान,
जबर धरम सिस्य कलियान।
इही संसो फिकर मा मैं फिरथँव।।६
सिक्छव हव सरलग सिखथँव…
घेरी बेरी सोंच समझ लिखथँव।

अमित सिंगारपुरिया
शिक्षक~भाटापारा (छ.ग)
संपर्क~9200252055
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