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कविता

शिव शंकर

शिव शंकर ला मान लव , महिमा एकर जान लव ।
सबके दुख ला टार थे , जेहा येला मान थे ।।

काँवर धर के जाव जी  , बम बम बोल लगाव जी ।
किरपा ओकर पाव जी  , पानी खूब चढ़ाव जी ।।

तिरशुल धर थे हाथ में  , चंदा चमके माथ में ।
श्रद्धा रखथे नाथ में  , गौरी ओकर साथ में ।।

सावन महिना खास हे , भोले के उपवास हे ।
जेहर जाथे द्वार जी  , होथे बेड़ा पार जी ।।

महेन्द्र देवांगन “माटी”  (शिक्षक)
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com