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गोठ बात

संस्कृति के दरपन म बैर

छत्तीसगढ़ियापन आज के समय के मांग हे, दरसक के मांग ल फिलिम व्यवसाय हा नई स्वीकारही त निश्चित रूप ले फिल्म उद्योग के डूबना तय हे। प्रयोगवादी गीत दरसक के मनोरंजन बर बहुत जरूरी हे।
फिलिम म हांसी-ठिठोली अउ उद्देश्य के संग-संग मया के अउ परंपरा के कथा हा घलो बहुत धूम मचाथे अउ गीत-संगीत के चटनी घलो सुहाथे। इही सबो बात ल लेके बनाइस निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा हा ‘बैर’, ये फिलिम हा जादा नई चलिस त कम घलो नइ चलिस। माने जादा अउ कम म बरोबर के बात बनीस! व्यावसायिक नजरिया ल लेके चलन त न घाटा होइस न फायदा माने यहू करा बरोबर के बात बनीस। प्रचार-प्रसार अउ चलाए के हिसाब ले ‘बैर’ फिलिम के पूरा कलाकार मन गजब मिहनत करीन। प्रस्तुतिकरन कोती धियान देवन त उच्च तकनीक ले बने ये सुग्घर फिलिम रिहीस। फिलिम म लाठी प्रतियोगिता जइसन खतरनाक खेल जउन ला जीते के बाद जीतइया के बैर भाव दिखथे के बड़ सुग्घर के चित्रण करे गे हे। छत्तीसगढ़ी संस्कृति के एक बढ़िया झलक फिल्म म दिखाई देथे। संवाद लेखक हा संवाद म छत्तीसगढ़िया अउ मजाकिया पुट देके फिल्म ल मनोरंजक अउ भरपूर समय बितइया बना डारे हे। ये फिलिम के निर्देशक मनोज वर्मा ल एक बात ह अखरथे के गीत अउ संगीत म छत्तीसगढ़ियापन के अभाव हे अउ वो अभाव ल वो मन अपन अवइया फिलिम ‘महूं दिवाना तहूं दिवानी’ म दुरिहाय के प्रयास करे हें।
फिलिम निर्माता निर्देशक मन संग कई बार अइसन-अइसन घटना घट जाथे जउन ला ओ मन परदा म देखाय खातिर व्याकुल हो जाथे अउ उही व्याकुलता हा ओमन ला जोखिम लेय खातिर प्रेरित करथे। बैर उही जोखिम भरे पोठ कदम के उदाहरण आय जउन हा बतौर निर्देशक मनोज वर्मा ल स्थापित करीस। ठेठ छत्तीसगढ़ियापन आज के समय के मांग हे, दरसक के मांग हे अउ कोनों ये मांग ल फिलिम व्यवसाय हा नइ स्वीकारही त निश्चित रूप ले फिलिम उद्योग के डूबना तय हे। प्रयोगवादी गीत दरसक के मनोरंजन बर बहुत जरूरी हे। बैर के गीत वो प्रयोग म पूरा-पूरा खरा उतरथे। छबिगृह म सुग्घर आवाज अउ संवाद हा दरसक मन ला बांध के राखे म पर्याप्त हे। कठिन गृहकार्य हा परदा म दिखथे अउ-जउन मन बिना गृह कार्य के परदा म उतरथे ओखर परिणाम के दुष्परिणाम म बदलत देरी नइ लागय। गीत, संगीत, दृश्य म मर्यादा फिल्मकार के पहला उद्देश्य होना चाही। खैर जम्मो डहर ले ‘बैर’ सफल होइस अउ ‘बैर’ के टीम म पीरीत जगाए के बुता बैर फिल्म हा करीस। आघू परंपरा अउ संस्कृति परिवार अउ समाज ल जोरे के बुता करही ये फिल्मकार मन ले इही आस म जय छत्तीसगढ़।
चम्पेश्वर गोस्वामी